नवादा : बिहार का कश्मीर कहा जाने वाला ककोलत जलप्रपात के प्रेमियों के लिए अच्छी खबर है। सैलाब के कारण पिछले एक पखवारे से अधिक समय से बंद पड़ा ककोलत जलप्रपात एकबार फिर से गुलजार होने वाला है। सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो अगले दस दिनों के भीतर इसके चालू होने के आसार हैं। वन विभाग से मिल रही जानकारी के मुताबिक ककोलत में मरम्मत का कार्य तेजी से चल रहा है और इसके शीघ्र ही पूरा होने की संभावना है। मरम्मत कार्य पूरा होते ही ककोलत जलप्रपात सैलानियों के लिए खोल दिया जाएगा। ककोलत में आये भीषण सैलाब के कारण 09 अगस्त 2025 से आमलोगों के लिए इसे बंद कर दिया गया था।
07 अगस्त की रात आये सैलाब ने ककोलत में भारी तबाही मचायी थी। जिसमें ककोलत का कुंड, सीढ़ियां, रेलिंग, ग्रिल फेंसिंग, नाला, सड़क, ऊपर लगायी गयी लोहे की जाली, गैबियन आदि बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गये थे। ककोलत परिसर में चारों ओर पानी ही पानी जमा हो गया था जिसके कारण इसे तत्काल मरम्मत होने तक बंद कर दिया गया था। यह पिछले दस वर्षों में ककोलत में आया सबसे बड़ा सैलाब था। वन विभाग का कार्य अंतिम चरण में:- ककोलत जलप्रपात में वन विभाग की ओर से कराया जाने वाला अधिकांश कार्य तात्कालिक तौर पर लगभग पूरा कर लिया गया है।
इस पर तकरीबन 08 लाख का खर्च अब तक आ चुका है। इससे ककोलत की टूटी सीढ़ियों की मरम्मत, रेलिंग की मरम्मत, कुंड परिसर व आसपास की साफ-सफाई, नाले की सफाई व इसका चौड़ीकरण, गेस्ट हाउस के बाहर की ग्रिल फेंसिंग, कुंड के ऊपर की साफ-सफाई, नीचे के कुंड के पाइप लाइन की मरम्मत आदि का कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है। जो शेष कार्य बचा है वह अंतिम चरण में है और इसके एक हफ्ते के भीतर पूरा कर लिये जाने की पूरी संभावना है। सीढ़ियों के स्लैब आदि बदलने का कार्य बरसात के समाप्त होने के बाद किया जाएगा। बारिश व सैलाब के आने की संभावना को देखते हुए मरम्मत व साफ-सफाई के लिए एक जेसीबी स्थाई तौर पर ककोलत जलप्रपात परिसर के भीतर रखा गया है ताकि सैलाब के आने पर ककोलत को बंद करने की स्थिति नहीं बन सके।
सड़क मरम्मत का कार्य पड़ा है लंबित
ककोलत जलप्रपात चालू करने में सबसे बड़ी अड़चन है, जलप्रपात तक जाने वाली सड़क की अब तक मरम्मत नहीं हो पाना। ककोलत के मुख्य द्वार से सीढ़ियों तक जाने के लिए तकरीबन 250 मीटर लंबी कालीकरण पथ का निर्माण ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा कराया गया था। परंतु सैलाब के कारण 25-30 फीट दूर तक सड़क पूरी तरह उखड़ गयी है। मुख्य द्वार के समीप ढलाव होने के कारण बारिश के तेज सैलाब ने कालीकरण पथ को पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया। इसके पुर्न निर्माण के लिए वन विभाग द्वारा ग्रामीण कार्य विभाग को लिखा गया है। परंतु अब तक यह कार्य आरंभ नहीं हो सका है। कालीकरण की जगह इस पथ का पीसीसी कराया जाना सैलाब को देखते हुए अधिक श्रेयस्कर बताया जाता है ताकि सैलाब सड़क को अधिक नुकसान नहीं पहुंचा सके।
ऊपर के कुंड में नहाने की अनुमति अभी नहीं
ककोलत जलप्रपात के चालू होने के बाद भी अभी सैलानियों को ऊपर के बड़े कुंड में नहाने की अनुमति नहीं होगी। कुंड की संरचना व कुंड के ऊपर पहाड़ों पर बनाये गये निर्माण को सैलाब ने पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया था। सैलाब के साथ ऊपर से पत्थरों के गिरने के कारण कुंड को काफी नुकसान पहुंचा है। वहीं पहाड़ के ऊपर बनायी गयी लोहे की करीब 25-30 टन वजनी जाली व जाली के बाद कंक्रीट के बनाये गये गैबियन को सैलाब ने पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है जिसकी मरम्मत अब तक नहीं करायी जा सकी है। इसकी मरम्मत के लिए पानी के रूट को डायवर्ट करने की जरूरत है। लगातार बारिश के कारण पानी में अधिक वेग होने से यह तत्काल संभव नहीं है। इस बीच वन विभाग द्वारा नीचे का कुंड चालू कर दिया गया है जिसमें सैलानी नहा सकते हैं। हालांकि सैलानियों के ऊपर जाने पर रोक नहीं रहेगी।
कहते हैं अधिकारी
वन विभाग द्वारा तात्कालिक तौर पर कराया जाने वाला कार्य तकरीबन पूरा कर लिया गया है। जलप्रपात की सीढ़ियों तक जाने वाली सड़क का निर्माण कार्य अभी लंबित है। ग्रामीण कार्य विभाग को इसके लिए लिखा गया है। पानी का मोमेंटम कम होने पर अन्य निर्माण कार्य कराये जा सकेंगे। ककोलत जलप्रपात आमलोगों के लिए दस दिनों के भीतर चालू करने की हमारी कोशिश है।
भईया जी की रिपोर्ट