नवादा : भूमि संबंधी दस्तावेज की त्रुटियों में सुधार व पंचायत स्तर पर इसकी सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग 16 अगस्त से राजस्व महाभियान चला रहा है। इसमें जमाबंदी त्रुटि सुधार, उत्तराधिकारी नामांतरण, बंटवारा नामांतरण व छूटी जमाबंदियों का डिजिटलीकरण जैसे कार्य किए जा रहे हैं। इसके लिए सभी प्रखंडों में विशेष शिविर लगाया गया है। इसमें रैयत जमाबंदी पंजी में सुधार कराने पहुंच रहे हैं और घर-घर जाकर इसका वितरण किया जाना है। इस दौरान कुछ चौंकाने वाली बात सामने आई है।
दरअसल, जिन बिचौलिए के कारण रैयतों को जमीन संबंधित कार्य कराने के लिए अंचल कार्यालयों का चक्कर काटना पड़ता है, उन्हीं का दबदबा इस महाभियान में दिखाई दे रहा है। जिले के कई पंचायतों से बिचौलिए की तस्वीर इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हो रही है। इसमें राजस्व कर्मियों के साथ बिचौलिए भी जमाबंदी पंजी का वितरण करते दिखाई दे रहे है। यही नहीं बेंच पर राजस्व कर्मी के बगल में बैठे हैं। जमाबंदी पंजी का वितरण करने के बाद रैयतों को बाद में आकर मिलने की बात कही जा रही है। इसमें स्पष्ट रूप से राजस्व कर्मियों की मिलीभगत सामने आने की बात कही जा रही है।
जमीन संबंधित कागजात दुरुस्त करने के लिए सरकार के इतने बड़े अभियान को अंचल स्तर के कर्मी पलीता लगाने पर तुले हैं। रैयतों में भी आक्रोश है। वे कह रहे जब बिचौलियों को ही सब तय करना था तो इस महाभियान का कोई मतलब नहीं। आश्चर्य तो यह कि जमावंदी पंजी जो उपलब्ध करायी जा रही है उसमें भी रैयतों के साथ धोखा किया जा रहा है। यह वही पंजी है जो वर्तमान में इंटरनेट पर डाला गया है। फिलहाल इसी से भूलगान की राशि जमा ली जा रही है। ऐसे में रैयतों को यह पता ही नहीं चल रहा है कि किस खाता नम्बर में कौन-कौन से प्लाट कितने डिसमिल का है।
राज्य सरकार ने रजिस्टर टू व इंटरनेट पर लोड भूमि की प्रति घर घर जाकर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है न कि किसी एक के घर में बैठकर वितरण का का। अब सबसे बड़ा सवाल क्या राजस्व कर्मचारी गांव के हर व्यक्ति को पहचानने हैं? फिर क्या गारंटी है कि कागजात सही रैयतों के हाथों पहुंच जायेगा? जब रजिस्टर टू उपलब्ध कराया जा रहा है या फिर जमावंदी? उपलब्ध करायी जा रही जमाबंदी इंटरनेट की कापी नहीं है? अगर हां! तो फिर इसका औचित्य ही क्या है?
अबतक परिमार्जन तक नहीं किया जा सका है। इसके कई प्रमाण मौजूद हैं। फिर जब परिमार्जन ही नहीं हुआ तो ऐसे जमाबंदी जो इंटरनेट पर लोड है उससे भूमि सुधार संभव है? अगर नहीं तो इस अभियान का मतलब क्या? जब सारे काम बिचौलिए से ही कराना है तो अभियान रैयतों का मुसिबत बढ़ायेगा और सरकार की मंशा पर एकबार फिर तुषारापात होना लगभग तय है।
भईया जी की रिपोर्ट