-मामला जिले के कार्यालयों में फैला भ्रष्टाचार का
नवादा : सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार किस कदर हावी है इसका एक दिलचस्प उदाहरण सामने आया है। पहले सेवा से बर्खास्त किये गये आवास सहायकों को मानदेय का भुगतान जारी रखा, अब बीडीओ को दे रहे हैं, वसूली की प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश। मामला उप विकास आयुक्त कार्यालय से जुड़ा है। अब सबसे बड़ा सवाल दोषी कौन? मामले का पर्दाफाश आरटीआई के तहत हुआ है।
क्या है मामला
जिले के बहुचर्चित आरटीआई कार्यकर्ता प्रणव कुमार चर्चील ने अकबरपुर व नरहट के आवास सहायक शक्तिनाथ वर्मा व मुकेश कुमार की बर्खास्तगी के बावजूद मानदेय भुगतान से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराने की मांग की थी। दस्तावेज उपलब्ध कराने के बजाय आदतन पदाधिकारियों ने गोल मटोल जबाब दिया था। ऐसे में वे भला चुप रहने वाले कहां थे सो द्वितीय अपील दाखिल किया। वहां भी संतोष जनक जबाब नहीं मिला तो उच्च अधिकारियों के पास याचिका दाखिल कर दी। ऐसे में अपने आपको बचाने के लिए उप विकास आयुक्त ने अपना फरमान जारी कर दिया।
क्या दिया आदेश
डीडीसी ने अपने पत्रांक 1057 दिनांक 18/7/24 व 1058 दिनांक 18/7/24 को क्रमशः नरहट व अकबरपुर बीडीओ को बर्खास्त आवास सहायक मुकेश कुमार द्वारा 5,89,994 व शक्ति नाथ वर्मा द्वारा 98,252 रुपये की वसूली के लिये दो दिनों के अंदर प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश निर्गत कर दिया।
मामला हास्यास्पद
इसके पूर्व अकबरपुर बीडीओ द्वारा आरटीआई के जबाब में कहा था शक्ति नाथ वर्मा के स्थानांतरण के पश्चात 16/8/18 से 30 जून 2021 तक कौआकोल व 01/7/21 से बर्खास्तगी तक का उपस्थिति विवरण न तो यहां से दिया गया न ही मानदेय का भुगतान किया गया।
अब सबसे बड़ा सवाल यह कि आखिर मानदेय भुगतान के लिए दोषी कौन? फिर बीडीओ को प्राथमिकी दर्ज कराने का अधिकार है क्या? उक्त मामले में बहुत सारे प्रश्नों का जबाब तो देना ही होगा? आरटीआई कार्यकर्ता भी ऐसे भ्रष्ट लोगों को सबक सिखाने के लिए तैयार बैठे हैं।
भईया जी की रिपोर्ट