नवादा : विद्युत विभाग में 2013 से कार्यरत रूरल रेवेन्यू फ्रेंचाइजी (RRF) और मीटर रीडिंग कर्मचारी (MRC) अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। इन कर्मचारियों का कहना है कि बिहार सरकार द्वारा स्मार्ट प्रीपेड मीटर योजना लागू करने से उनके सामने बेरोजगारी और भुखमरी का संकट खड़ा हो गया है। संघ के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने बताया कि 2013 में बिहार सरकार ने विद्युत विभाग के बिलिंग और राजस्व संग्रहण की कमजोर व्यवस्था को सुधारने के लिए रूरल रेवेन्यू फ्रेंचाइजी योजना शुरू की थी।
स्मार्ट मीटर से बेरोजगारी
इस योजना के तहत राज्य के हर पंचायत में एक-एक फ्रेंचाइजी को बिलिंग और राजस्व संग्रहण का काम सौंपा गया था। इन कर्मचारियों का कहना है कि वे 2013 से घर-घर जाकर बिलिंग और राजस्व संग्रहण का कार्य कर रहे हैं। 2017 में विभाग के एक निर्णय के बाद कुछ कर्मचारी एमआरसी में बदल गए, लेकिन वे भी अब तक इसी काम को जारी रखे हुए हैं। इन कर्मचारियों ने अपनी समस्याओं के समाधान के लिए राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, ऊर्जा मंत्री और विद्युत विभाग के अधिकारियों को कई बार पत्र लिखा ।
सात दिवसीय हड़ताल
संघ की राज्य कमेटी ने पिछले वर्ष एक दिवसीय और फिर सात दिवसीय हड़ताल की थी। इसके अलावा, सभी जिला समितियों ने विधायकों और सांसदों को भी आवेदन दिया था। कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें विद्युत विभाग में पंचायत पर्यवेक्षक के पद पर समायोजित किया जाए। उनका कहना है कि अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो उनके परिवारों के सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो जाएगी। कर्मियों का कहना है कि वे 2013 से धूप-बरसात की परवाह किए बिना दिन-रात मेहनत करके विभाग को नया आयाम दे रहे हैं।
नियोजन का आग्रह
कर्मियों ने बताया कि जहां अन्य विभागों में कर्मचारियों के वेतन में हर वर्ष वृद्धि होती है, वहीं उनका कमीशन लगातार कम होता गया है। 2013 में यह 6 प्रतिशत था जो 2016 से अब तक 3 प्रतिशत पर सीमित है। इसके बावजूद वे पिछले 10 वर्षों से निरंतर कार्य कर रहे हैं।अब विद्युत विभाग और बिहार सरकार द्वारा स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा रहे हैं। कर्मियों का कहना है कि उन्हें स्मार्ट मीटर से कोई विरोध नहीं है। लेकिन उनकी मांग है कि इस बदलाव के बाद भी उन्हें उनके कार्यक्षेत्र में ही पंचायत पर्यवेक्षक के पद पर समायोजित किया जाए।
भईया जी की रिपोर्ट