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राजनीति

नवादा विधानसभा में सियासी तापमान चरम पर, विधानसभा का चुनावी मुकाबला दिलचस्प होने के आसार

Swatva
Last updated: August 2, 2025 1:20 pm
By Swatva 411 Views
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नवादा : 2025 में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर नवादा विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक गतिविधियाँ तेज़ हो गई हैं। मौजूदा विधायक और राजद नेत्री विभा देवी जहां अपनी राजनीतिक विरासत बचाने में जुटी हैं, वहीं क्षेत्र में कई नए और पुराने दावेदार चुनावी समर में ताल ठोकने को तैयार हैं। अंदरूनी कलह, पार्टी बदलते नेता और जातीय समीकरणों के चलते मुकाबला बहुकोणीय और दिलचस्प होने की संभावना दिख रहा है। राजद के पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव, जो नाबालिग से दुष्कर्म मामले में सजा रहे चुके हैं, उनकी राजनीतिक विरासत अब उनकी पत्नी विभा देवी आगे बढ़ा रही हैं। हालांकि हाल के दिनों में विभा देवी द्वारा पार्टी नेतृत्व पर लगाये आरोपों ने राजद को असहज स्थिति में डाल दिया है।

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उन्होंने तेजस्वी यादव के करीबी नेताओं पर टिकटों और फैसलों में पैसे के लेन-देन का आरोप लगाया था, जिससे पार्टी में अंदरूनी असंतोष खुलकर सामने आया। उधर, जदयू के कद्दावर नेता और पूर्व विधायक कौशल यादव के राजद में शामिल होने से समीकरण और उलझ गया हैं। कौशल यादव की छवि क्षेत्र में मज़बूत रही है और वे अपने समर्थकों के साथ राजद में आए हैं। इससे राजद को लाभ भी हो सकता है, मगर पार्टी में गुटबाज़ी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इस बीच भाजपा और जदयू गठबंधन (NDA) भी इस सीट पर अपना मजबूत प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है। पिछले लोकसभा चुनाव में नवादा सीट पर एनडीए का अच्छा प्रदर्शन रहा, और यह देखना रोचक होगा कि विधानसभा स्तर पर वे किसे मैदान में उतारते हैं।

राजनीतिक सरगर्मियों के बीच कांग्रेस के डॉ. के पी सिंह ने भी अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। अति-पिछड़ा वर्ग के समर्थन का दावा करते हुए वे नवादा समेत कई सीटों पर कांग्रेस की उपस्थिति दर्ज कराने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया है कि यदि गठबंधन में उपेक्षा हुई, तो वे स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेंगे। इसी कड़ी में मॉडर्न शैक्षणिक समूह के निदेशक डॉ. अनुज कुमार ने भी नवादा से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। शिक्षा और विकास को केंद्र में रखकर वे एक वैकल्पिक राजनीति की बात कर रहे हैं। युवाओं और शहरी मध्यवर्ग में उनकी अच्छी पकड़ बताई जा रही है।

पिछले विधानसभा चुनाव में स्वतन्त्र प्रत्याशी सह वर्तमान में राजद के प्रदेश सचिव एवं राजद के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले श्रवण कुशवाहा को भी कमतर नही आँका जा सकता। पिछले विधानसभा चुनाव में इन्होंने विभा देवी को कड़ा टक्कर दिया था। चुनावी समीकरण में श्रवण कुशवाहा नवादा की राजनीति में मजबूत कड़ी के रूपये में मौजूद हैं। राजद के जिलाध्यक्ष उदय यादव भी श्रवण कुशवाहा के करीबी हैं।

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जातीय समीकरणों की बात करें तो नवादा में यादव, भूमिहार,कुशवाहा,अति-पिछड़ा और दलित वर्ग की संख्या निर्णायक है। ऐसे में हर दल या प्रत्याशी अपने-अपने जातीय आधार को साधने की कोशिश में है। लेकिन इस बार मुद्दों के इर्द-गिर्द वोटिंग होने की संभावना भी जताई जा रही है, खासकर शिक्षा, स्वास्थ्य और बेरोज़गारी को लेकर।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नवादा विधानसभा का चुनाव इस बार केवल दो दलों के बीच नहीं रहेगा। एक ओर जहां राजद अपने गढ़ को बचाने में लगी है, वहीं एनडीए इस क्षेत्र को वापसी के लिए मुफीद मान रही है। इसके अलावा कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी भी समीकरण को उलट-पुलट कर सकते हैं। जनता की चुप्पी अभी गहराई से सोचने को मजबूर कर रही है। लेकिन एक बात साफ है—नवादा विधानसभा चुनाव 2025 में मुकाबला सिर्फ दलों के बीच नहीं, नेतृत्व, नीतियों और विश्वास की परीक्षा भी होगा।

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जातीय सर्वेक्षण और स्थानीय मुद्दे:—गरीबी, शिक्षा, विकास—जो चुनाव परिणाम प्रभावित करेंगे।

इस विश्लेषण के आधार पर नवादा विधानसभा में मुकाबला बहु‑धुरीय, रोमांचक और जातीय–विकास के दोराहे पर नजर आता है। चुनाव नजदीक आने पर उम्मीदवारों की अंतिम सूची, गठबंधन, जातिगत समीकरण और स्थानीय मुद्दे निर्णायक भूमिका निभाएंगे।

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की विधायक विभा देवी की हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। उनके बयानों ने न केवल राजद के अंदरूनी समीकरणों को प्रभावित किया है, बल्कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए भी नए सवाल खड़े कर दिए हैं। दूसरी ओर, जदयू के पूर्व विधायक कौशल यादव और उनकी पत्नी पूर्णिमा यादव के राजद में शामिल होने से नवादा की राजनीति में नया मोड़ आ गया है !विभा देवी की प्रेस कॉन्फ्रेंस,तेजस्वी पर गंभीर आरोप:-

नवादा की राजद विधायक विभा देवी ने 9 जुलाई को तेजस्वी यादव के नवादा दौरे के बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें उन्होंने राजद नेता तेजस्वी यादव और उनके करीबियों पर गंभीर आरोप लगाए। विभा देवी ने दावा किया कि तेजस्वी और उनके सहयोगी उनके परिवार की छवि को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार बनाने के दौरान उनसे भारी रकम की मांग की गई थी, जिसे वह देने में असमर्थ थीं।

विभा देवी ने अपने पत्र में कहा, “मैं सम्मान बेचकर राजनीति नहीं करती। मेरे लिए विधायकी तब तक ही महत्वपूर्ण है, जब तक उस पर भ्रष्टाचार का कोई दाग न लगे।” उनकी यह टिप्पणी राजद के अंदरूनी कलह को उजागर करती है। इसके अलावा, 2024 के लोकसभा चुनाव में विभा देवी के अपने ही विनोद यादव ने राजद के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था, जिसके बाद से तेजस्वी और उनके बीच तनाव की खबरें सामने आ रही थीं। कौशल यादव का राजद में शामिल होना, राजबल्लभ की काट?

नवादा में 9 जुलाई को आयोजित एक भव्य मिलन समारोह में तेजस्वी यादव की मौजूदगी में जदयू के पूर्व विधायक कौशल यादव, उनकी पत्नी पूर्णिमा यादव और पूर्व एमएलसी सलमान रागीव ने राजद की सदस्यता ग्रहण की। कौशल यादव, जो चार बार विधायक रह चुके हैं, और उनकी पत्नी पूर्णिमा यादव, जो तीन बार विधायक रहीं, नवादा में एक मजबूत जनाधार रखते हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी यादव ने इस कदम से बाहुबली नेता राजबल्लभ यादव और उनकी पत्नी विभा देवी के प्रभाव को कम करने की रणनीति अपनाई है। राजबल्लभ यादव, जो वर्तमान में नाबालिग लड़की से बलात्कार के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं, और उनके परिवार का राजद में लंबे समय से दबदबा रहा है। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में विभा देवी द्वारा पार्टी लाइन से हटकर निर्दलीय उम्मीदवार विनोद यादव का समर्थन करने के बाद से उनके और तेजस्वी के बीच तनाव बढ़ गया था। कौशल यादव ने मिलन समारोह में नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा, “नीतीश कुमार थके हुए नेता हैं। बिहार में भ्रष्टाचार और अफसरशाही का बोलबाला है।” उन्होंने दावा किया कि नवादा में जदयू का प्रभाव खत्म हो चुका है और राजद आगामी चुनाव में मजबूत स्थिति में होगी।

एनडीए की रणनीति: ‘वेट एंड वॉच’ वाली

नवादा की बदलती सियासी तस्वीर के बीच राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) फिलहाल ‘वेट एंड वॉच’ की रणनीति पर चल रहा है। नवादा जिले में पांच विधानसभा सीटें हैं—नवादा, गोविंदपुर, हिसुआ, वारिसलिगंज और रजौली। पिछले विधानसभा चुनाव में राजद ने तीन सीटें (नवादा, गोविंदपुर और रजौली) जीती थीं, जबकि एक-एक सीट भाजपा और कांग्रेस के खाते में गई थी। इस बार दल-बदल की घटनाओं ने चुनावी गणित को और जटिल कर दिया है राजद के अंदरूनी कलह ने महागठबंधन की एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। तेजस्वी यादव पहले से ही चुनाव आयोग और एनडीए पर वोटर लिस्ट से गरीबों के नाम हटाने का आरोप लगाते रहे हैं। अब विभा देवी और रजौली के विधायक प्रकाश वीर जैसे नेताओं के बागी तेवर ने पार्टी के लिए नई मुश्किलें खड़ा कर दी है।

हालांकि रजौली और नवादा विधानसभा सीट से वर्तमान विधायक को 2025 के चुनाव में राजद छोड़ना मंहगा भी पड़ सकता है। क्योंकि राजनीतिक विश्लेषको का मानना है की जिले के पांच विधानसभा सीटों में राजद की स्थिति पूर्व में तीन सीटों पर जीतने एवं वारिसलीगंज सीट पर अपनी दावेदारी ठोकने की स्थिति में राजद का अंतरकलह प्रभावित कर सकता है। महागठबंधन ने 2025 के विधानसभा चुनाव के लिए एक साझा मैनिफेस्टो तैयार करने की रणनीति बनाई है, जिसमें महिलाओं को 2500 रुपये मासिक, 200 यूनिट मुफ्त बिजली, और जातीय जनगणना जैसे लोकलुभावन वादे शामिल हैं।

हालांकि, पार्टी के अंदरूनी विवाद इस रणनीति को कमजोर कर सकते है। वैसे कयास लगाया जा सकता है की नवादा की सियासत में कौशल यादव की राजद में एंट्री और विभा देवी की प्रेस कॉन्फ्रेंस ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एक नया सियासी समीकरण बना दिया है। राजद के लिए यह एक मौका है कि वह अपने जनाधार को और मजबूत करे, लेकिन विभा देवी जैसे नेताओं की नाराजगी पार्टी के लिए चुनौती बन सकती है। दूसरी ओर, एनडीए इस स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश में है। आगामी महीनों में नवादा की राजनीति और बिहार का सियासी माहौल और रोचक होने वाला है।

भईया जी की रिपोर्ट 

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