नवादा : जिले के उग्रवाद प्रभावित सिरदला अंचल कार्यालय के ताले नहीं खुलने से भूमि से संबंधित कार्य प्रभावित हो रहा है। कारण स्पष्ट है अंचल अधिकारी का पद रिक्त रहना। ऐसे में कहावत है ”किसान गेला घर, जने तने हर”। उक्त कहावत यहां चरितार्थ हो रहा है। कहने को तो फिलहाल मेसकौर अंचल अधिकारी सिरदला अंचल अधिकारी के प्रभार में हैं। लेकिन उनके होने न होने का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में राजस्व कर्मचारियों की मनमानी बढ़ गयी है। दाखिल खारिज, भूमापी से लेकर परिमार्जन आदि के एक नहीं हजारों मामले लम्बित पड़े हैं तो भूमि विवाद को बढ़ावा मिल रहा है।
खुद भैया जी ने सिरदला अंचल राजन पंचायत की तारण गांव में भूमापी व परिमार्जन के लिए आनलाइन आवेदन दे रखा है। कर्मचारी ने भूमापी को यह कहकर अस्वीकार कर दिया कि खाता खेसरा से लेकर भूलगान तक गलत है। जबकि खाता खतियान सब सही है। अब सबसे बड़ा सवाल जब आपने इंटरनेट पर डाला ही नहीं या फिर जो डाला उसके अनुसार आनलाइन भूलगान का भुगतान किया जा रहा है फिर परिमार्जन क्यों नहीं।
जाहिर है सारा खेल लाभ- शुभ के चक्कर में हो रहा है और भैया जी लम्बी लड़ाई लड़ी लेंगे लेकिन नाजायज फायदा उठाने नहीं देंगे। जाहिर है परिमार्जन के चलते पारिवारिक बंटवारा यानी कि अलग-अलग डिमांड का का कार्य लम्बित पड़ा है। जब एक जागरूक पत्रकार के साथ ऐसा हो रहा है तब फिर शेष लोगों के साथ क्या होता होगा भगवान ही मालिक है।
भईया जी की रिपोर्ट