नवादा : आर्द्रा की बारिश ने जिले के किसानों का भरपूर साथ दिया है, जिससे वह गदगद हैं। रविवार को पुनर्वसु नक्षत्र का प्रवेश हुआ। कृषि पंडित घाघ कहते हैं। पुनर्वसु-पुष्य न भरै तलैया, फिर भरिहैं अगले साल हो भैया। जून माह में जिले भर में 128.82 फीसदी यानी 173.4 एमएम बारिश जून माह में हुई, जो 28.82 प्रतिशत अधिक रही। जबकि जुलाई माह में औसत वर्षापात 261.60 एमएम रहता है। जिले भर में सामान्य गति से लेकर तेज गति की बारिश हो रही है। जिससे मानसून का भरपूर उपयोग किसान कर रहे हैं।
बारिश का साथ मिलते रहने से जिले में धान के बिचड़ों की बुआई 85.01 प्रतिशत तक पहुंच गयी है। अच्छी बात यह है कि जिले के धान का कटोरा कहे जाने वाले वारिसलीगंज इलाके के किसानों ने धान का आच्छादन भी शुरू कर दिया है। अब तक महज एक फीसदी ही धान की रोपाई संभव हो सकी है, लेकिन मानसून ने किसानों को तत्परता बरतने के लिए उत्प्रेरित कर दिया है। किसानों के लिए सुखद यह है कि अभी लगातार अगले पांच दिनों तक बारिश की पूरी संभावना जताई गयी है। मानसून का साथ किसानों को मिलता रहेगा और यह स्थिति काफी राहत भरी साबित होगी।
इस वर्ष अच्छी बारिश से जिले के किसान खुश:- जिले में अब तक हुई बारिश से जिले के किसान लगभग बिचड़ा लगाने का काम पूरी कर लेने के कगार पर हैं। 8760.44 हेक्टेयर में बिचड़ा आच्छादन के लक्ष्य के विरुद्ध 85.01 फीसदी अर्थात 7372.00 हेक्टेयर में बिचड़ों की बुआई हो चुकी है। अकबरपुर प्रखंड में 90. 01 प्रतिशत जबकि गोविंदपुर में 83.87, हिसुआ में 85.10, काशीचक में 85.64, कौआकोल में 80.49, मेसकौर में 72.46, नारदीगंज में 80.12, नरहट में 90.89, नवादा सदर में 95.99, पकरीबरावां में 90.04, रजौली में 70.86, रोह में 80.61, सिरदला में 80.40 और वारिसलीगंज प्रखंड में 90.05 फीसदी बिचड़ा आच्छादन हो चुका है।
लगातार बारिश से सब्जी की फसल को क्षति
एक तरफ धान उत्पादक किसानों में जहां खुशी है, वहीं सब्जी उत्पादक किसान थोड़े निराश हैं। मानसून के सक्रिय होने के बाद से लगातार अच्छी बारिश हुई है, जो खरीफ सीजन के लिए यह वरदान साबित हो रहा है। लेकिन सब्जी की फसलों के लिए यह नुकसानदायक साबित हो रही है। लगातार रुक-रुककर और तेज हुई बारिश से सब्जी की फसल को अच्छा-खासा नुकसान पहुंचा है। बारिश के कारण खेतों में जलजमाव के कारण सब्जी की उपज प्रभावित हुई है।
वर्षा में फूल और लत्तियां गल जाने के कारण हालिया दिनों के अंदर हरी सब्जियों की कीमत में भारी तेजी हुई है। थोक और खुदरा मंडी से सब्जियां गायब हो गई हैं। आमद कम जाने से कीमत में करीब दोगुना से ढाई तक की वृद्धि हो गयी है। स्थानीय इलाकों से आने वाली सब्जियों की आवक कम पड़ जाने से दुकानों पर नेनुआ, बोरा तो काफी खोजने के बाद मिल रहा है। नेनुआ, बोड़ा, करैला की कीमत दोगुना हो गयी है। अधिकतर सब्जियों की कीमत चालीस रुपये प्रतिकिलो तक पहुंच गयी है। 40 रुपये नेनुआ, बोरा, भंटा, परवल है। 30 रुपये भिंडी व कद्दू है। सबसे महंगा इस वक्त टमाटर है। यह 60 रुपये प्रतिकिलो की दर से बिक रहा है।
अभी कुछ समय पहले तक लोकल सब्जियों की बेहतर आवक के कारण यही सारी सब्जियां लगभग 20 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गयी थीं। इस हाल में किचन का बजट गड़बड़ाने लगा है। घरों में चना, मटर और बेसन समेत सोयाबीन आदि से गृहिणियां काम चला रही हैं। मौसम साफ होने से आमद बढ़ने पर गिरेगा सब्जियों का भाव:- जिले के किसान इंद्रदेव कुशवाहा, सुनील महतो, महेंद्र महतो, मोहन साव आदि ने बताया कि बारिश में लत्तियां गल गई हैं। सिर्फ भिंडी की उपज ज्यादा प्रभावित नहीं हुई है। ले-दे कर लोकल सब्जियां भी कम आ रही हैं। इस कारण दाम चढ़े हुए हैं।
मौसम साफ रहने पर ही कीमत में कमी आ सकती है। अगर फिर लगातार रुक-रुककर बारिश हुई तो कीमत में कमी आना मुश्किल लग रहा है। थोक सब्जी विक्रेता मो.इदरिश ने बताया कि कम आमद के कारण थोक में भी ऊंची कीमत पर सब्जी की खरीदारी हो रही है। खुदरा सब्जी विक्रेता मिस्टर ने बताया कि वर्तमान में लोकल सब्जी का उत्पादन प्रभावित होने से बाजार पर बुरा असर पड़ा है। खरीदार एक पाव अथवा आधा किलो से अधिक खरीदारी नहीं कर पा रहे हैं।
भईया जी की रिपोर्ट