नवादा : कौआकोल प्रखंड क्षेत्र के पाण्डेय गंगौट मड़ही में वारिस पिया के अनुयायी व नंदबाबा की दो दिवसीय वार्षिकी पूजा का आगाज गंगा-जमुनी संस्कृति के बीच संपन्न हुआ हुआ। रविवार को दिन के 12 बजकर 15 मिनट पर सूफी व वारसी भजन के कलाकारों की प्रार्थना और सूफी भजन के बीच विधि-विधान से आरम्भ हुआ। नंदबाबा की समाधि को शुद्ध गंगाजल से पवित्र स्नान कराया गया। इसके बाद यज्ञोपवीत (जनेऊ) डालने के बाद समाधि पर धोती, कुर्ता (मिरजई) टोपी तथा सरकारी चादरपोशी सहित सभी तरह के शृंगार चढ़ाने के बाद 56 प्रकार के भोग लगाकर नंदबाबा की अराधना की गई।
सरकारी पूजा व चादरपोशी रस्म अदायगी के बाद से आम लोगों के द्वारा चादरपोशी, प्रसाद चढ़ाने व पूजन का सिलसिला शुरू हुआ। इस दरम्यान मन्नतें पूरी होने पर दूर-दराज व विभिन्न प्रदेशों से आए श्रद्धालुओं द्वारा चादरपोशी एवं प्रसाद चढ़ाने का सिलसिला अनवरत रूप से चलता रहा। इस दरम्यान काफी संख्या में लोग अपनी मन्नतें मांगने के लिए कतारबद्ध होकर नंदबाबा की अराधना में लगे रहे। हर व्यक्ति बारी-बारी से नंदबाबा एवं महंत बाबा की समाधि पर माथा टेक बाहर निकल रहे थे।
पूजा व चादरपोशी तथा मन्नतें छुड़ाने वालों की लंबी कतार लगी रही। दो दिवसीय पूजा को लेकर पाण्डेय गंगौट तथा इसके आसपास के कई गांव मेहमानों से पटे रहे। पूजा के दरम्यान वैसे लोगों की अच्छी खासी भीङ लगी है, जो लोग अपनी मन्नतें पूरी होने के बाद नंदबाबा एवं महंत बाबा की समाधि पर माथा टेकने पहुंचे हैं। मड़ही पूजा की खासियत रही है कि यहां लोग जात-पात,धर्म-सम्प्रदाय, ऊंच-नीच की दुर्भावनाओं से हटकर एक साथ एक ही तरह से पूजा करते हैं। यह परम्परा आज तक चली आ रही है। यहां की पूजा का नजारा ही अलग है। पूजा के दरम्यान यहां मजहब की दीवार पूरी तरह से ध्वस्त हो जाती है। क्या हिन्दू और क्या मुस्लमान, बच्चे तथा बूढ़े, सभी एक ही रंग में रंग कर या वारिस की धुन पर थिरकते नजर आते हैं।
अड़तालीस घंटे अनवरत चलता रहा वारसी व सूफी भजन का दौर:- मङही पूजा के दरम्यान रविवार को वारसी व सूफी भजनों का दौर दिन व रात भर चलता रहा। विभिन्न प्रदेशों से आये कलाकारों द्वारा एक से बढ़कर एक सूफी भजन, गजल, वारसी भजन पेश किये गये। कार्यक्रम की शुरुआत सबसे पहले वारसी व सूफी भजन प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा वारिस पिया व महंथ बाबा की स्मृति में भजन पेशकर किया गया। इस दरम्यान उन्हें श्रद्धालुओं की जमकर तालियां बटोरने का अवसर भी मिला। सूफी भजन एवं गजल के गायक अजय उर्फ पप्पू पाण्डेय के साथ तबला पर उपेन्द्र शर्मा एवं राजेन्द्र सिंह संगत कर रहे थे, जिसका लोगों ने खूब आनन्द उठाया।
पूजा समारोह की सफलता में शारंगधर मोहन, पूर्व जिप सदस्य नारायण स्वामी मोहन, शुभांकर कुमार, चंद्रमौली सिंह,अनुज प्रसाद, शिवशंकर सिंह, मुकेश कुमार वारसी के साथ-साथ सभी ग्रामीणों का योगदान अहम रहा। दूसरे प्रदेशों से भी पहुंचे साधु-संत नंदबाबा की वार्षिकोत्सव समारोह के दरम्यान इस दो दिवसीय मड़ही पूजा में देश के विभिन्न प्रांतों से साधु-संत व वारसी संप्रदाय के लोग पूजा में शामिल होने पहुंचे थे। सभी का खास ख्याल मड़ही पूजा आयोजन समिति द्वारा रखा गया।
पूजा समिति के सदस्यों ने बताया कि पूजा समारोह में उत्तर प्रदेश के देवाशरीफ, दिल्ली एवं बिहार के कोने-कोने से विभिन्न संप्रदाय के साधु-संत भाग लेते हैं। सभी साधु-संत व श्रद्धालुजन अपनी-अपनी मन्नतें लेकर आते हैं और बाबा से अपनी मन्नतें पूरी होने की अरदास करते हैं। कार्तिक मास प्रथम पक्ष द्वितीया को पुनः आने के संकल्प के साथ वारिस पिया के अनुयायियों को पूजा समिति के सदस्यों ने नम आंखों से विदाई के साथ दो दिवसीय मड़ही पूजा का समापन हुआ।
भईया जी की रिपोर्ट