नवादा : जिले के ऐतिहासिक शीतल जल प्रपात ककोलत आने वाले सैलानियों के लिए अच्छी खबर है। अब बरसात के दिनों में उन्हें नो एंट्री का सामना नहीं करना पड़ेगा। ककोलत में बारिश के दिनों में सैलाब के झंझट से पर्यटकों को राहत मिलने वाली है। सैलाब के प्रकोप से पर्यटकों को बचाने के लिए ककोलत में कैनाल का निर्माण किया जा रहा है। इस पर करीब 30 लाख का खर्च आएगा। वन विभाग द्वारा इसके लिए राशि स्वीकृत कर दी गयी है। कैनाल के निर्माण की प्रक्रिया भी सरजमीं पर शुरू कर दी गयी है। वर्तमान में जेसीबी की मदद से कैनाल के निर्माण के लिए रास्ते की खुदाई की जा रही है।
यदि बारिश ने व्यवधान पैदा नहीं किया तो कैनाल का निर्माण इसी माह पूरा कर लिया जाएगा। कैनाल के निर्माण के लिए सीढ़ियों के समीप बने कलवर्ट से लेकर गेस्ट हाउस के पीछे तक रास्ता तैयार किया जा रहा है। ताकि कैनाल का निर्माण किया जा सके। इसके एक ओर स्टोन वाल का निर्माण होगा। जबकि दूसरी ओर स्टोन पिचिंग की जाएगी। कैनाल निर्माण निर्माण के बाद बरसात के दिनों में ककोलत में सैलाब आने के बाद ककोलत में पर्यटकों का प्रवेश बंद करने की समस्या से लोगों को निजात मिलेगी। इसके निर्माण के बाद ककोलत में जलजमाव नहीं होगा जिससे बरसात के दिनों में सैलाब आने पर पानी आसानी से कैनाल के सहारे बाहर निकल जाएगा। कैनाल की लंबाई करीब 90 फीट व चौड़ाई करीब 08 फीट है। जिसके कारण पानी बिल्कुल भी ककोलत में सीढ़ियों के आसपास जमा नहीं होगा। वर्तमान में सीढ़ियों के रास्ते पानी के सैलाब के आने से कुछ ही देर में ककोलत में पानी ही पानी हो जाता है। पानी में रफ्तार अधिक होने के कारण सुरक्षा के दृष्टिकोण से ककोलत में पर्यटकों का प्रवेश बंद करना होता था।
गोल्डन आवर में मुख्य कुंड हो सकता है बंद:- बरसात के दिनों में तेज बारिश के दौरान सैलाब के कारण ककोलत जलप्रपात के मुख्य कुंड को गोल्डन आवर, जो कि करीब एक घंटे का होता है, उस वक्त सुरक्षा कारणों से कुंड का प्रवेश रोका जा सकता है। वन विभाग के मुताबिक सैलाब आने का उन्हें पहले ही पता चल जाता है। उनके द्वारा हमेशा इसकी मॉनिटरिंग की जाती है। सैलाब से पूर्व झरने के पानी का रंग अचानक से मटमैला होना शुरू हो जाता है। इसी दौरान कुंड में प्रवेश रोका जा सकता है। परंतु इस बीच पर्यटक ककोलत में रहेंगे और नीचे के कुंड में स्नान कर सकेंगे। बारिश के दौरान भी न तो ककोलत बंद होगा और न ही नीचे का कुंड। ऐसे में बारिश आने पर पर्यटकों के आनंद में कोई खास खलल नहीं पड़ने जा रहा है। यह बड़ी राहत की बात है।
ककोलत में पर्यटकों की बनी रही भीड़
बारिश के मौसम के बावजूद ककोलत में रविवार को पर्यटकों की काफी भीड़ रही। बड़ी संख्या में पर्यटक मोटर वाहनों में भर कर ककोलत आये और ककोलत जलप्रपात तथा ककोलत परिसर की खूबसूरती का भरपूर आनंद उठाया। इस दौरान वन विभाग के कर्मचारी अलर्ट मोड में रहे और खासकर झरने के पानी पर नजर बनाये रखे। परंतु ककोलत में सैलाब जैसी कोई बात सामने नहीं आयी।
पर्यटकों ने इस दौरान खूब मस्ती की और कुंड तथा झरने के नीचे जमकर नहाया। बच्चों ने भी इस दौरान खूब धींगा मस्ती की। मौसम ने पर्यटकों के मस्ती में खलल नहीं डाला। 20- 22 हजार रोज पहुंच रहे पर्यटक:- प्रतिदिन ककोलत आने वाले पर्यटकों की संख्या करीब 20-22 हजार पहुंच चुकी है। वन विभाग का पूर्व में करीब 10 हजार का आकलन था और अधिकतम 15 हजार का। परंतु इस वर्ष पर्यटकों के आने का रिकार्ड टूट गया है। हर दिन बड़ी संख्या में लोग यहां जुट रहे हैं और गर्मी की तपिश से राहत पा रहे हैं।
सप्ताहांत में भीड़ थोड़ी कम हो रही है। उस समय लोकल लोग कम आ रहे हैं। हालांकि उस समय बाहर के पर्यटक अधिक पहुंच रहे हैं। पर्यटकों के वाहनों की स्थिति भी काफी अधिक है। 5000 हजार से अधिक वाहन हर दिन ककोलत पहुंच रहे हैं। जिसके कारण न सिर्फ रास्ते में जाम की स्थिति बन रही है बल्कि ककोलत पार्किंग में भी पर्यटकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। फूड कोर्ट का नाम दिया गया चौपाटी:- ककोलत मुख्य द्वार के बाहर बनाये गये फूड कोर्ट का नाम मुम्बई की मशहूर खाने-पीने वाली जगह चौपाटी के नाम पर रखा गया है। फूड कोर्ट में 10 गुणा 12 फीट साइज की 60 दुकानें बनायी गयी हैं।
इसे यू आकार में तैयार किया गया है और पर्यटकों के बैठने के लिए आकर्षक शेड आदि का निर्माण किया गया है। कई कार्य अभी भी चल रहे हैं। 60 दुकानों में वर्तमान में 46 दुकानें अलॉट की जा चुकी हैं। इनमें से अधिकांश में खाने-पीने की व्यवस्था की गयी है। हालांकि दुकानों में किसी भी प्रकार का व्यवसाय करने की दुकानदारों को छूट है। परंतु ककोलत आने वाले पर्यटकों की डिमांड यहां के औषधीय पानी से बने खाना खाने की होती है। जिसके कारण अधिकांश होटलें ही इन दुकानों में खोली गयी हैं।
वन विभाग का भी इसके निर्माण के पीछे यही उद्देश्य रहा है। पूर्व में लोग जंगलों की लकड़ियां काटकर यहां खाना बनाते थे और परिसर को गंदा भी करते थे। अब इन सब पर रोक लगा दी गयी है। कहते हैं अधिकारी:- ककोलत में सैलाब को रोकना एक बड़ी चुनौती थी। कैनाल के निर्माण के बाद पानी को नियंत्रित कर इसे कैनाल के रास्ते बाहर निकाला जा सकेगा। इसके निर्माण के बाद ककोलत बंद करने की नौबत नहीं आएगी। अधिक पानी आने पर ककोलत कुंड में प्रवेश गोल्डन आवर में रोका जा सकता है। परंतु इस दौरान पर्यटक ककोलत के भीतर आ सकेंगे और नीचे के कुंड में स्नान कर सकेंगे।
भईया जी की रिपोर्ट