नवादा : जिले के अकबरपुर प्रखंड बकसंडा पंचायत मुखिया की वित्तीय अनियमितता के मामले में आयुक्त सह लोक प्रहरी द्वारा पदच्युत की अनुसंशा के बावजूद मनमानी थमने का नाम नहीं ले रहा है। शिकायत वार्ड सदस्यों ने समाहर्ता से की है। आश्चर्य यह कि मुखिया को मनमानी की छूट अधिकारियों ने दे रखी है। इसके पीछे लाभ- शुभ की महत्वपूर्ण बतायी जाती है।
ताजा मामला फूलों बकरीद पैन का है। बलिया बुजुर्ग पंचायत मुखिया द्वारा उक्त पैन की सफाई मनरेगा योजना के तहत तीन वर्षों पूर्व करायी जा चुकी है। नियमत: जिसका कार्य हो चुका है पुनः पांच वर्षों बाद ही वहां दुबारा कार्य कराये जाने का प्रावधान है, लेकिन मनरेगा पीओ की मिलीभगत से उक्त पैन में कार्य कराये जाने की स्वीकृति जलछाजन विभाग ने दे दी है।
जाहिर है जब स्वीकृति दी गई तो वहां मजदूरों के बजाय मशीनों से काम कराया जाना है सो मुखिया द्वारा रात के अंधेरे में कार्य आरंभ करा दिया गया है। अब सबसे बड़ा सवाल जब आयुक्त सह लोक प्रहरी द्वारा पदच्युत की अनुसंशा की जा चुकी है तो आखिर संचिका कहां धूल फांक रही है? जब तीन वर्ष पूर्व मनरेगा से उक्त पैन की सफाई हुई तो फिर एनओसी कैसे दी गयी? इसका जवाब तो अधिकारियों को देना होगा।
वैसे इस प्रकार का यह पहला ऐसा मामला है ऐसी भी बात नहीं है। इसके पूर्व रजौली प्रखंड अमांवा पूर्वी पंचायत में जलछाजन विभाग द्वारा आहर का नाम बदलकर बुतरुआ आहर कर कार्य आरंभ कराया गया जा चुका है। जबकि मात्र एक वर्ष पूर्व ही उक्त आहर में मनरेगा से कार्य संपन्न कराया गया था। जाहिर है सारा खेल अधिकारियों की मिलीभगत से हो रहा है।आवश्यकता सीबीआई जांच की है अन्यथा योजना में बगैर कार्य कराये राशि की बंदरबांट होती आ रही और आगे भी होती रहेगी। वैसे वार्ड सदस्यों ने मोर्चा खोला है तो बात बहुत दूर तक जानी तय मानी जा रही है।
भईया जी की रिपोर्ट