नवादा : कहते हैं, मुद्दय लाख बुरा चाहे होता है क्या? वहीं होता जो मंजूरे खुदा होता है। जिले की बहुचर्चित अल्पसंख्यक महिला जदयू सदस्य, गोविंदपुर प्रखंड मुख्यालय पंचायत की दो दो बार रही पूर्व मुखिया अफरोजा खातुन की जीवनी कुछ इसी प्रकार की कहानी कह कह रही है। जिसके सहारे राजनीति का क ख ग सीखा, जब अपनी पहचान बनाने के प्रयास में जुटी, उसी ने पैर खिंचना शुरू कर दिया। परिणाम मुखिया पद चुनाव में हैट्रिक लगाने से चूक गयी।
गरीबों की मसीहा के रूप में काम करने का जज्बा बरकार रहा तो मुख्यमंत्री ने अहमियत समझ उन्हें राज्य अल्पसंख्यक आयोग का सदस्य बनाया। सदस्य बनते ही जिले के जदयू राजनीतिज्ञों में खलबली मच गयी। दुर्भाग्य से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन छोड़ एनडीए सरकार बना लिया तो आयोग के साथ जदयू जिला कमेटी भंग हो गयी। अफरोजा को जदयू जिलाध्यक्ष का कमान सौंपने की चर्चा चली तो ना कर दिया। नये जिलाध्यक्ष बने तो उन्होंने अफरोजा को अलग थलग कर दिया। बावजूद मुख्यमंत्री की नजर में वह लक्ष्मीबाई बनी रही तो जदयू का परचम लहराने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।
अब जब पुनः राज्य अल्पसंख्यक आयोग का पुनर्गठन हुआ तो वलियावी की टीम दुबारा स्थान प्राप्त करने में सफल रही। उन्होंने शुक्रवार को योगदान देकर एकबार फिर सिद्ध कर दिया चाहे दल हो या फिर जिला प्रशासन लाख षड्यंत्र रचे मुख्यमंत्री की नजरों से उन्हें कोई गिरा नहीं सकता। मुख्यमंत्री व जदयू उनकी मां के समान है उससे कभी अलग होने या भितरघात उसकी फितरत में न है, न रहेगा।
इस बीच दुबारा राज्य अल्पसंख्यक आयोग सदस्य बनाये जाने पर जदयू नेता दीपक कुमार मुन्ना, जिला अधिवक्ता संघ के पूर्व महासचिव संत शरण शर्मा, पैक्स अध्यक्ष राकेश कुमार तालो, नरेश मालाकार, सच्चिदानंद सिंह, ललन कुशवाहा समेत सैकड़ों लोगों ने जिला को आयोग में स्थान देने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए बधाई दी है।
भईया जी की रिपोर्ट