नवादा : पुलिस की स्थापना कानून का पालन कराने, विधि बनाये रखने के साथ अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए की गयी है। लेकिन जब पुलिस ही नोटिस व वारंट में फर्क न समझ गिरफ्तार कर ले तब कानून का क्या होगा? आजकल जिले में संविधान के बजाय पुलिस का अपना कानून चल रहा है। सभ्य लोगों की पहले गिरफ्तारी फिर— थाने से मुक्त करने की घटनाओं के बावजूद अधिकारियों की तंद्रा भंग नहीं हो रही है।
ताज़ा मामला जिले के रजौली थाना का है । जहां काफी पूर्व जारी सार्टिफिकेट नोटिस तामील कराये बगैर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। थाना अध्यक्ष राजेश कुमार के नेतृत्व में ग्राम छपरा निवासी कृष्ण सिंह के पुत्र धनंजय सिंह को रजौली थाना के एस आई सत्येंद्र सिंह के द्वारा बिना वारंट के 9:00 बजे रात्रि में पकड़ने भेज दिऊ। कोऑपरेटिव बैंक का एक नोटिस आया था कि वह नोटिस जाकर दे दे। और राशि जमा करने के संबंध में बताएं।
उन्होंने पूर्व का वकाया राशि 14/3/23 को ही जमा करा दिया था जिसका NOC सत्येंद्र सिंह को दिखाया। बावजूद धक्का मुक्की अमित सिंह पैक्स अध्यक्ष ने मामला है जानना चाहा तब बगैर विलम्ब किए सतेंद्र सिंह के द्वारा बल पूर्वक अमित सिंह को थाने में लाकर बंद कर दिया ओर सुबह मोटी रकम ले कर छोड़ दिया। सवाल उठता है कि जब दोष किसी के ऊपर है ही नहीं तब रजौली थाने में ऐसा कारनामा आखिर क्यों हो रहा है ?। इतना ही नहीं धनंजय सिंह के बड़े बेटे आकाश को भी दो घंटा थाना में बंद कर दिया और उससे भी पैसा का डिमांड किया गया।
रजौली पश्चिम के मुखिया प्रतिनिधि विनय सिंह ने थाने में जाकर थाना अध्यक्ष को बताया कि जब राशि जमा है, फिर भी इसके पुत्र आकाश कुमार को क्यों पकड़ लिया ? तब थाना अध्यक्ष के द्वारा आकाश को छोड़ा गया। इस प्रकार रजौली थानाध्यक्ष राजेश कुमार के द्वारा अवैध वसूली का धंधा चल रहा है। प्राइवेट ड्राइवर उपेंद्र यादव को रख कर थाने में रखकर जमकर लाभ- शुभ का धंधा जारी है।
अब सबसे बड़ा अगर वारंट है भी तो इतने दिनों तक थानेदार कर क्या रहे थे? फिर जिसके नाम वारंट था? उसके पुत्र व अन्य की गिरफ्तारी क्यों? और जब गिरफ्तार किया तो फिर न्यायालय ने भेजकर मुक्त क्यों किया? ऐसे में मामले की जांच तो बनती है। लेकिन जांच करेगा कौन? अबतक किसी थानेदार पर लगे आरोपों की जांच हुई क्या? ऐसे में यह कहा जा रहा है:- जिले में कानून का नहीं, पुलिस का राज चलता है।
भईया जी की रिपोर्ट