नवादा : पुरे भारत में सोमवार 01 जुलाई से नए आपराधिक कानून लागू हो गया। भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नए आपराधिक कानून आज से लागू हो गया। आईपीसी की जगह अब भारतीय न्याय संहिता कानून ले लिया। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान इन तीनों नए कानूनों को संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पारित कराया था जो राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद ये तीनों कानून 01 जुलाई से पूरे देश में लागू हो गया। उक्त बातें हिसुआ थाना परिसर में आयोजित बैठक में डीएसपी सुनील कुमार ने बताया।
दुष्कर्म और गैंगरेप की धारा अलग-अलग
डीएसपी सुशील कुमार ने बताया कि कानून की धारा 375 और 376 की जगह अब नए कानून में दुष्कर्म की धारा 63 होगी जबकि गैंगरेप की धारा 70 हो जाएगी। वहीं हत्या के लिए अब धारा 302 की जगह धारा 101 लागू होगी। भारतीय न्याय संहिता में 21 नए अपराधों को जोड़ा गया है, जिसमें मॉब लिंचिंग भी शामिल है। सरकार ने मॉब लिचिंग को लेकर कानून बनाया है। कुल 41 अपराध की सजा को पहले से बढ़ा दिया गया है, वहीं 82 अपराधों में जुर्माना की राशि बढ़ाई गई है। नए कानून के अनुसार, आपराधिक मामलों की सुनवाई खत्म होने के बाद 45 दिनों के भीतर फैसला आएगा। पहली सुनवाई के दो महीने के भीतर आरोप तय किए जाएंगे।
अभिभावकों की मौजूदगी में दर्ज होगी दुष्कर्म पीड़ितों का बयान
राज्यों की सरकार को गवाहों की सुरक्षा और सहयोग के लिए गवाह सुरक्षा योजनाएं लागू करना होगा। नए कानून के मुताबिक अब महिला पुलिस दुष्कर्म पीड़ितों का बयान उनके अभिभावकों की मौजूदगी में दर्ज करेगी। सात दिन के भीतर मेडिकल रिपोर्ट पूरी होनी चाहिए। महिला और बच्चों के खिलाफ अपराधों को लेकर कानून में एक नया अध्याय जोड़ा गया है। इसमे बच्चे को खरीदना या बेचना जघन्य अपराध होगा, जिसके लिए सख्त सजा का प्रावधान किया गया है।
नाबालिक के साथ गैंगरेप के लिए मौत या आजीवन कारावास
नए कानून के तहत नाबालिक के साथ गैंगरेप के लिए मौत की सजा या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। लड़कियों या महिलाओं को शादी का झूठा वादा करके गुमराह करने के मामलों में भी सजा का प्रावधान किया गया है। महिलाओं के खिलाफ अपराध के पीड़ितों को 90 दिनों के अंदर अपने मामलों पर जानकारी हासिल करने का अधिकार होगा। महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराध के मामले में सभी अस्पतालों को मुफ्त इलाज करना जरूरी होगा। आरोपी और पीड़ित दोनों को 14 दिनों के भीतर एफआईआर, पुलिस रिपोर्ट, चार्जशीट, बयान, इकबालिया बयान और अन्य दस्तावेजों की प्रति प्राप्त करने का अधिकार है।
इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से भी घटनाओं की रिपोर्ट
नए कानून के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक संचार के माध्यम से भी घटनाओं की रिपोर्ट की जा सकेगी, जिससे पीड़ित को पुलिस स्टेशन जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पीड़ित अपने अधिकार क्षेत्र वाले थाने के बजाए किसी भी थाने में प्राथमिकी दर्ज करा सकेंगे। गंभीर अपराधों के लिए एफएसएल टीम को घटनास्थल पर पहुंचकर साक्ष्य जमा करना अनिवार्य होगा। लिंग की परिभाषा में अब ट्रांस जेंडर भी शामिल होंगे, जो समानता को बढ़ावा देता है।
प्रशिक्षु डीएसपी कामिनी कौशल, थानाध्यक्ष अनिल कुमार, हिसुआ बीडीओ रितेश कुमार, एसआई रूपा कुमारी, एसआई धनवीर कुमार, सुजाता कुमारी, अरविंद कुमार सुमन, एएसआई संतोष कुमार सिंह, विजेंद्र कुमार ने भी अपनी बातों क़ो रखा। बैठक में जिला परिषद सदस्य उमेश यादव ,नगर परिषद अध्यक्षा पूजा कुमारी, उपाध्यक्ष टिंकू चौधरी, भाजपा नेता अशोक चौधरी, वार्ड पार्षद शंभू शर्मा, जितेंद्र कुमार ,मो .असगर अली, मनोज यादव, विनोद कुमार, अखिलेश सिंह, मोहम्मद शमीम, मोहम्मद नन्हू, मोहम्मद शमशाद, धनंजय सिंह, मो .तस्लीम रज़ा, दिलीप अधिवक्ता, मधुसूदन चौधरी आदि शामिल हुए।
भइया जी की रिपोर्ट