नवादा : वाह सिविल सर्जन साहब! आपका विभाग तो कमाल कर रहा है। भले ही स्वास्थ्य विभाग का नारा:- “एक भी बच्चा छूटे नहीं, सुरक्षा चक्र टूटे नहीं” हो, लेकिन यहां तो गजब हो रहा है। घर पर जन्मे बच्चों का टीकाकरण के पूर्व अस्पतालों में कार्यरत कर्मचारियों द्वारा बगैर नाजायज के टीकाकरण नहीं किया जा रहा है। जी हां! यहां हम बात कर रहे हैं जिले के अकबरपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का। यहां बगैर नाजायज लिए कुछ होता ही नहीं।
ताज़ा मामला प्रखंड क्षेत्र के तेयार पंचायत पिथौरी गांव मुहल्ला मिश्रीचक का है। दिनेश राम का आरोप है कि पत्नी रीना देवी ने 05 मई को घर पर बच्चे को जन्म दिया। 06 मई को बच्चे को हेपेटाइटिस समेत अन्य टीकाकरण कराने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची लेकिन उसे बैरंग वापस कर दिया गया। दूसरे दिन पुनः टीकाकरण कराने पहुंची तो मौजूद कर्मियों ने 200 रुपए की मांग की। राशि भुगतान के बावजूद टीकाकरण तो किया गया लेकिन हेपेटाइटिस टीकाकरण से बंचित रहना पड़ा।
यह सिर्फ उदाहरण है। इस प्रकार का अनियमित कार्य यहां बेखौफ हो रहा है। आरोप है कि आशा कार्यकर्ताओं द्वारा प्रसव के लिए आयी महिला के परिजनों को रुपए के लिए इतना परेशान किया जाता है कि लोग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का रास्ता भूलने में ही अपनी भलाई समझने लगे। हालात यह है कि प्रभारी हमेशा गायब रहते हैं फिर फरियादियों की सुनेगा कौन?
भईया जी की रिपोर्ट