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बिहारी समाज

मेसकौर, सिरदला व गोविंदपुर प्रखंड में जल संकट गहराया

Swatva
Last updated: May 8, 2025 11:55 am
By Swatva 299 Views
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7 Min Read
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नवादा : बेमौसम की बारिश के बावजूद जल संकट गहराने लगा है। पानी की कमी न सिर्फ नवादा बल्कि राज्य के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही है। जिले के लोगों को भी हर रोज स्वच्छ पानी उपलब्ध कराना बड़ी समस्या बनती जा रही है। पानी की कमी का असर खाद्य सुरक्षा और कृषि उत्पादकता पर भी पड़ रहा है। डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों की मानें, तो हर व्यक्ति को अपने रोजमर्रा के लिए करीब 25 लीटर पानी की आवश्यकता होती है।

Contents
सरकारी भवनों में नहीं है रेन हार्वेस्टिंग की व्यवस्थाक्या हैं रेन वाटर हार्वेस्टिंगरेन वाटर हार्वेस्टिंग के नियमसभी सरकारी भवन में करनी है रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्थाआम लोगों की भागीदारी भी जरूरी
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जिले के मेसकौर, सिरदला, गोविंदपुर, कौआकोल आदि प्रखंडों के कई इलाकों में लोगों को अपनी आवश्यकता की पूर्ति के लिए विभिन्न कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कहीं, उन्हें बहुत दूर से पानी ढोकर लाना पड़ता है, तो कहीं सीमित समय के लिए की जा रही आपूर्ति पर निर्भर रहना पड़ता है। कई हिस्सों में भूमिगत जलस्तर का बड़ी मात्रा में उपयोग किया जाता है, जिस वजह से क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों के जलस्तर में तीव्र गिरावट दर्ज की जा रही है।

जल जीवन हरियाली कार्यक्रम के तहत सरकार ने वर्षा जल संचयन को लेकर कई योजनाएं चला रखी है। इन्ही योजनाओ में एक योजना रेन वाटर हार्वेस्टिंग भी है। इससे वर्षा के जल को एकत्रित कर नीचे पहुंच गये जलस्तर को चार्ज करने की विधि बतलायी गयी है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग के तहत लोगों में जागरुकता और प्रेरित करने के उद्देश्य से पहले चरण में सरकारी भवनों की छतों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के तहत बारिश के पानी को फिल्टर कर जमीन के अंदर भेजने की व्यवस्था करनी थी। लेकिन, प्रशासनिक उदासीनता के कारण योजना मात्र फाइलों में सिमट कर रह गयी है।

इसका परिणाम है की आम आदमी भी अपने घरों की बड़ी बड़ी छतों का इस्तेमाल वर्षा जल संचयन के प्रति गंभीर नहीं हो रहे है। जिले में हर साल अच्छी बारिश होती है। कभी-कभी तो बारिश इतनी अधिक होती है कि शहर डूबने की स्थिति में आ जाती है। हजारों लीटर पानी नालों के सहारे नदी में वह जाता है। इतनी वर्षा होने के बाद भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग योजना सिर्फ फाइल दर फाइल ही आगे बढ़ रही है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए सरकार से लेकर प्राइवेट संस्थान तक अपने स्तर पर योजना तो चलाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। यदि समय रहते हम सचेत नहीं हुए तो आने वाले दिनों में पानी की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है।

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सरकारी भवनों में नहीं है रेन हार्वेस्टिंग की व्यवस्था

जिला प्रशासन का दावा है कि जिले मे जितने भी सरकारी भवन हैं उनपर रेन वाटर हार्वेस्टिंग का काम चल रहा है, जबकि सच्चाई कुछ और है। सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा नदारद है। कुछ सरकारी भवनों को छोड़ दें, तो सभी भवनों में अभी तक रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं की गयी है।

क्या हैं रेन वाटर हार्वेस्टिंग

रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम में बारिश के पानी को फिल्टर कर जमीन के अंदर भेजने की व्यवस्था होती है। भवन के छत के पानी को पाइप के सहारे दो फुट चौड़े सीमेंट के बॉक्स में पहुंचाया जाता है, इसके बाद पानी आठ फुट लंबे, आठ फुट चौड़े और आठ फुट गहरे टैंक में जाता है जहां पर पत्थर की एक तह बिछाने के बाद उसके ऊपर गिट्टी का लेयर बिछाया जाता है। पानी में गंदगी को हटाने के लिए गिट्टी के ऊपर बालू की परत बिछायी जाती है. इससे पानी साफ होकर जमीन के अंदर जाता है, जिससे भूजल रिचार्ज होता है।

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रेन वाटर हार्वेस्टिंग के नियम

शहरी क्षेत्र मे रेन वाटर हार्वेस्टिंग बिल्डिंग बायलॉज में शामिल है। मकान का नक्शा पास कराने के समय यह सुनिश्चित करना होता है कि उसमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था होगी। इसके लिए टैक्स में कुछ प्रतिशत की छूट भी दी जाती है। नियम है कि अगर नक्शा में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा मेंशन नहीं है, तो निगम मकान या अपार्टमेंट का नक्शा पास नहीं करेगा। निर्माण के समय लोग इस नियम का पालन नहीं करते। नगर पर्षद या नगर पंचायत में भवन निर्माण विभाग द्वारा नक्शे के अनुसार घर नहीं बनाने पर नकेल नहीं कसा जाता, जिसके चलते लोग अपने घर मे रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं करते हैं।

सभी सरकारी भवन में करनी है रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था

सरकारी नयी बिल्डिंग बायलॉज 2014 में उल्लेख किया गया है कि जो भवन बनेंगे उनमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था अनिवार्य है। जिला इस मामले में असफल रहा है। नियम के अनुसार प्रति 100 स्क्वायर मीटर में 60 क्यूबिक मीटर में रिचार्जिंग पीट बनाया जाना चाहिए, लेकिन शहर में निर्माण होने वाले अधिकांश मकान में नियम को फॉलो नहीं किया जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार 2020 में जिला प्रशासन की ओर से सरकारी भवनों को रेन हार्वेस्टिंग सुविधा लगाने के लिए चिन्हित किया गया था, लेकिन अभी तक उन भवनों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा नहीं है। जिले के रजौली, वारसलीगंज, हसुआ, नगर पर्षद सहित प्रखंडों मे सभी सरकारी बिल्डिंग पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा लगनी थी, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।

आम लोगों की भागीदारी भी जरूरी

सरकार सतत विकास लक्ष्य छह के तहत वर्ष 2030 तक सभी लोगों के लिए पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। नल जल योजना के तहत सबको नल से जल की आपूर्ति का लक्ष्य रखा गया है। इन लक्ष्यों की प्राप्ति तभी संभव है जब जल संसाधनों का समुचित प्रबंधन किया जाय। जल प्रबंधन की नयी तकनीक का इस्तेमाल जरूरी:- सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि जल प्रबंधन के क्षेत्र में नवीन तकनीक का इस्तेमाल किया जाय। यह पानी की समस्या को कम करने में काफी हद तक मददगार साबित हो सकता है। तकनीक के द्वारा आपूर्ति व्यवस्था को मजबूत करने के साथ ही, पानी की बर्बादी को कम किया जा सकता है।

भईया जी की रिपोर्ट

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