नवादा : कहते अगर कुछ कर दिखाने का दिल में जज्बा हो तो सफलता अवश्य कदम चूमती है। वैसे की ऐसे मामले हैं जिसमें भैया जी की लेखनी को आशा से भी अधिक सफलता दिलायी है। अब हम जिसकी चर्चा करने जा रहे हैं उसमें आरटीआई के साथ भैया जी की लेखनी दोनों की मिश्रित सफलता है। जी हां! यहां हम बात कर रहे हैं जिले के रोह प्रखंड क्षेत्र के नजरडीह पंचायत मुखिया की।
उनकी काली करतूतों की कहानी आप भैया जी के माध्यम से पूर्व में पढ़ चुके हैं। लेकिन आप यह भी कहते होंगे कि अरे भाई अखबारों या सोशल मीडिया में छपने से क्या होगा? जमाना भ्रष्टाचार का है सब मैनेज हो जायेगा। जी! मैं भी आपकी बात से सहमत हूं। हो भी रहा है। कुछ ऐसे भी मामले हैं जिसमें आयुक्त तक ने अनुसंशा कर दी लेकिन सचिवालय अबतक कुंडली जमाये हुए और संचिका धूल फांक रही है।
खैर! अब आते हैं मुद्दे पर। आखिर माजरा है क्या? नजर डीह पंचायत मुखिया अशोक कुमार रजक हैं। उन्होंने फर्जी स्थायी व अनुश्रवण समिति का गठन कर मनमानी करनी आरंभ कर दी। उन्हें प्रखंड कार्यालय का जमकर समर्थन मिलना रहा। परिणाम यह हुआ कि उप मुखिया से लेकर वार्ड सदस्यों तक का फर्जी हस्ताक्षर कर योजना चयन से लेकर राशि की निकासी करायी जाती रही। पानी जब सर से उपर हुआ और सोशल मीडिया से लेकर अखबारों में छपी खबरों पर प्रशासन ने ध्यान देने के बजाय लीपापोती करती रही तब सूचना का अधिकार अधिनियम का सहारा लिया गया।
मुखिया तो मुखिया संरक्षण देने वाले की पोल खुल गयी। और जब पोल खुली और जिला प्रशासन की किरकिरी हुई तब समाहर्ता ने पदमुक्त करने की अनुसंशा कर दी। वैसे मैं हमेशा से कहता आ रहा हूं और अब भी कह रहा हूं बगैर प्रमाण मैं किसी को कुछ नहीं कहता। फिर कह रहा हूं मुखिया पर कार्रवाई की अनुसंशा तो डीएम ने कर दी लेकिन उसके समर्थन में गलत प्रतिवेदन देकर जिला प्रशासन को गुमराह करने वालों पर कार्रवाई क्यों नहीं?
भईया जी की रिपोर्ट