नवादा : जिले का ऐतिहासिक शीतल जल प्रपात ककोलत विसुआ संक्रांति पर भी उदास है। नायादगार समय से विसुआ संक्रांति यानी 14 अप्रैल से 18 अप्रैल तक पांच दिनों तक लगने वाला मेला कोरोना काल से जो बंद हुआ बंद पड़ा है। ऐसे में आसपास के लोगों के साथ दूर दराज से सैलानी ककोलत स्नान के लिए आ अवश्य रहे हैं लेकिन उन्हें परंपरागत मेले का आनंद नहीं मिल पा रहा है। मान्यता है कि विसुआ संक्रांति के अवसर पर ककोलत जलप्रपात पर स्नान करने से सर्प योनि में जन्म से मुक्ति मिलती है।
ऐसे में आसपास के लोग स्नान करने आ रहे हैं लेकिन उन्हें वह आनंद नहीं मिल पा रहा है जो कोरोना काल से पूर्व मिल पाता था। विसुआ संक्रांति के अवसर पर लगने वाले मेले से सरकार को राजस्व की प्राप्ति होती थी तो आसपास के लोगों के साथ मेले में आने वाले मनोरंजन के साधनों को रोजगार मिलता था लेकिन वे भी रोजगार से बंचित हैं। ऐसे में लोगों का आक्रोश प्रशासन के प्रति बढ़ता जा रहा है। और तो और राज्य सरकार पर्यटन विभाग के सौजन्य से मनाया जाने वाला ककोलत महोत्सव तक यहां आयोजन न कर जिला मुख्यालय में कराया जा रहा है जो जिला प्रशासन की की ककोलत के प्रति उदासीनता को दर्शाता है।
केयर टेकर यमुना पासवान का मानना है कि ऐसा कर जिला प्रशासन ककोलत की गरिमा को न केवल समाप्त कर रहा है बल्कि आसपास के लोगों को रोजगार से बंचित कर रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप कर पूर्व से ककोलत जलप्रपात पर विसुआ संक्रांति के अवसर पर लगने वाले मेले की गरिमा बहाल करने की मांग की है।
भईया जी की रिपोर्ट