नवादा : कहते हैं किसी काम में विलम्ब हो सकता है लेकिन —! बशर्ते आप अपना धैर्य न खो दें। जब “भैया जी” की कोई खबरें प्रकाशित होती है तो अधिकारी तो अधिकारी कुछ पत्रकारों में भी झूठ करार देने की होड़ मच जाती है। लेकिन वे शायद यह नहीं जानते कि पुख्ता प्रमाण के बगैर कोई जोखिम मोल नहीं ले सकता। कुछ इसी प्रकार की एक खबर रजौली डीसीएलआर से संबंधित प्रकाशित हुई थी।
मामला संजय यादव वनाम डीसीएलआर का था। भूमि संबंधी एक वाद में उन्होंने वाद रजौली का और निर्णय सिरदला का दिया था। ख़बरें वायरल होते ही अधिकारियों में खलबली मच गयी थी। एक अधिकारी ने तो टाइपिंग मिस्टेक तक कह डाला था। खैर! मामला चाहे जो हो दस्तावेज तो दस्तावेज होता है जिसे कोई हटा या मिटा नहीं सकता। इस बावत संजय कुमार ने तमाम अधिकारियों को आवेदन देकर मामले की जांच के साथ कार्रवाई की गुहार लगायी थी।
मामले की गंभीरता को देखते हुए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के विशेष कार्य पदाधिकारी मणिभूषण श्रीवास्तव ने डीएम को पत्र लिखकर मामले की जांच करा प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। ऐसे एक बार फिर गेंद समाहर्ता के पाले में है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल जारी दस्तावेज को कोई झूठ साबित करेगा कैसे? ऐसे में डीसीएलआर की मुश्किलें बढ़ गई है। बहरहाल इंतजार हर किसी को रहेगा।
भईया जी की रिपोर्ट