नवादा : जिले के ऐतिहासिक शीतल जल प्रपात सौंदर्यीकरण के वक्त विस्थापित दुकानदारों के समक्ष रोजगार का संकट उत्पन्न हो गया है। ऐसा वन विभाग की मनमानी के कारण हुआ है। इस बावत विस्थापित दुकानदारों ने डीएम समेत तमाम अधिकारियों को आवेदन देकर न्याय की गुहार लगायी है। एकतारा गांव के स्थानीय अल्पसंख्यक समुदाय के मो.प्रवेज,मो. नाजीर आलम, मो. एहसास आलम, मो.मकसुद आलम, मो. हामिद आलम, मो. खुर्शीद आलम,मो. मुश्ताक आलम, मो. मुश्ताक अंसारी, मो. रहमत, मो. साउद, मो. मकबूल,मो. अलीम व मो. आफताब का आरोप है कि ककोलत जलप्रपात के नीचे वर्षों से दुकान लगाकर परिवार वालों का भरण-पोषण करते थे।
सौंदर्यीकरण के वक्त वन विभाग ने दुकान हटाने तथा नव निर्माण के बाद विस्थापित दुकानदारों को दुकान आवंटित करने का आश्वासन दिया था। वन विभाग द्वारा 65 दुकानों का निर्माण कराया गया है। नव निर्मित दुकानों के आवंटन सूची में एक भी विस्थापित दुकानदारों के नाम को शामिल नहीं किया गया है।
आश्चर्य यह कि लगभग सभी दुकानों की बगैर नियम कानून के आवंटन कर दिया। इनमें से एक भी विस्थापित दुकानदारों का नाम शामिल नहीं है। जिला वन पदाधिकारी से पूछताछ में पता चला है कि नव निर्मित दुकानों में से मात्र 06 दुकानों की बंदोबस्ती नहीं की गयी है। जबकि सच्चाई यह है कि अभी 21 दुकानों की बंदोबस्ती नहीं हो सकी है। बावजूद डीएफओ की गलतबयानी समझ से परे है। आवेदकों ने डीएम समेत तमाम अधिकारियों को आवेदन देकर विस्थापित दुकानदारों के नाम दुकान आवंटित करने की गुहार लगायी है।
भईया जी की रिपोर्ट