नवादा : जिले में मनायें जाने वाले त्योहारों परिदृश्य बिल्कुल बदला बदला दिखायी देने लगा है। दुर्गा पूजा हो, दीपावली हो, छठ पूजा हो या फिर रामनवमी के अवसर पर लगने वाले मेले में नवयुवक एवं नवयुवतियां में सेल्फी लेने की होड़ मची रहती है। जिले के विभिन्न छठ घाटों यथा लाइन पार मिर्जापुर, शोभ मंदिर, गढ़पर, हंडिया, झिकरुआ सूर्य मंदिरों से लेकर अकबरपुर प्रखंड के विभिन्न घाटों जैसे अकबरपुर हॉट पर अरगाघाट, फतेहपुर ,बड़की पोखर, मलिकपुर नेमदारगंज, खुरी नदी के किनारे, पिरौटा पोखर आदि कई घाटों पर सैकड़ों की संख्या में महिलाओं ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया।
लोक आस्था का महापर्व छठ सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया। शुक्रवार को चौथा और अंतिम दिन था। सुबह करीब पांच बजकर 41 मिनट पर सूर्योदय होने के साथ ही अर्घ्यदान का क्रम आरंभ हो गया था। इसके बाद व्रती व उनके स्वजनों ने भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर खुद के लिए और समाज व देश हित की कामना की। अहले सुबह से ही श्रद्धालु पास के छठ घाटों पर पहुंचने लगे थे। इन घाटों पर रोशनी की बेहतर व्यवस्था होने से यहां का दृश्य मनोहारी था। सुरक्षा को लेकर घाटों पर सुरक्षा के दृष्टिकोण से पुलिस बल एवं एम्बुलेंस टीम तैनात की गयी थी।
श्रद्धालुओं के लिए पंडाल की व्यवस्था की गयी थी। इस साल पिरौटा पोखर छठ घाट पर अपेक्षाकृत श्रद्धालुओं की अधिक भीड़ देखी गयी जबकि कार्तिक छठ में अधिक भीड़ रहने वाले अकबरपुर खुरी नदी अर्गा घाट पर व्रतियों की संख्या कम देखी गयी। छठ में प्रात:कालीन अर्घ्य का विशेष महत्व है। यह प्रत्यक्ष देवों में एक भगवान भास्कर को अर्पित किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि पूरी आस्था के साथ अर्घ्य अर्पित करने वालों पर भगवान सूर्य की विशेष कृपा होती है। वे उसे अपने जैसा तेज प्रदान करते हैं। रोगों को हर लेते हैं। परिवार में सुख व शांति प्रदान करते हैं। यह ऊर्जा प्रदायक है। रोगनाशक है।
परंपरा है कि व्रती सूर्योदय के बाद अपने साथ ही साथ स्वजनों से भी अर्घ्यदान कराती हैं। तांबे के पात्र में जल, एक चुटकी रोली, चंदन, हल्दी, अक्षत व लाल पुष्प डालकर गायत्री मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देने से स्वास्थ्य, धन वंश व सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। सामाजिक कार्यकर्ता पंकज पांडे ,महेंद्र चौहान,अनिल साव, उदय कुमार ने बताया कि छठ को लेकर घाट की साफ-सफाई की गयी थी। लिहाजा व्रतियों को किसी प्रकार की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ा। इसके साथ 36 घंटों के निर्जला व्रत का व्रतियों ने समापन किया।
भईया जी की रिपोर्ट