नवादा : जिले के पुलिस की कार्यशैली पर लगातार सवालिया निशान लगना आरंभ हो गया है। पत्रकारों द्वारा लेखनी के माध्यम से लगातार आगाह किया जा रहा है। आश्चर्य यह कि आगाह करने या पुलिस को आइना दिखाने के बावजूद कार्रवाई तो दूर उल्टे पर्दाफाश करने वाले पत्रकार को ही झूठे मुकदमे में फंसा कलम की धार को कुंद करने में पुलिस के आला अधिकारी लगे हैं। ऐसे में हर किसी की निगाहें न्यायालय पर जाकर टिक जाती है। हाल के दिनों में न्यायालय का भी पुलिस से भरोसा समाप्त होने लगा है।
ऐसे में एक नहीं कई पुलिस पदाधिकारियों के विरुद्ध न केवल टिप्पणी बल्कि वेतन रोकने से जुर्माने तक की सजा हो चुकी है। बावजूद पुलिस अधीक्षक का ध्यान इस ओर नहीं जा पा रहा है। ऐसे में पुलिस की मनमानी चरम पर है। इसी प्रकार का एक ताजा मामला एकबार फिर सामने आया है। पर्याप्त साक्ष्य के बिना 50 वर्षीय महिला को गिरफूतार कर जेल भेजने पर अदालत में पेश किये जाने पर अदालत ने अनुसंधानकर्ता पर कड़ी टिप्पणी की तथा गिरफतार महिला को बंधपत्र पर मुक्त कर दिया। मामला मुफस्सिल थाना कांड संख्या-58/25 से जुड़ा है।
जानकारी के अनुसार अनुसंधान के क्रम में समाय गांव निवासी उर्मिला देवी को अनुसंधानकर्ता अलका कुमारी ने गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया। जेल भेजने के पूर्व चीफ एलएडीसी अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा ने न्यायाधीश का ध्यान आकृष्ट करते हुए बताया कि अनुसंधानकर्ता के द्वारा केवल खानापूर्ति करते हुए बिना किसी साक्ष्य एवं आधार के उर्मिला देवी को पेश किया गया है तथा उक्त महिला के मौलिक अधिकार का हनन किया गया है। इस सम्बंध में पोक्सो कोर्ट के विशेष न्यायाधीश मनीष द्विवेदी ने अनुसंधानकर्ता अलका कुमार से पूछा तो उन्होंने बताया कि केवल पर्यवेक्ष्ण टिप्पणी के आधार पर गिरफतार किया गया है। अनुसंधानकर्ता ने अदालत को यह भी बताया कि अनुसंधान में उर्मिला देवी के संलिप्ता का साक्ष्य नही है।
पूरे मामले को न्यायाधीश ने काफी गम्भीरता से लिया तथा पुअनि अलका कुमारी को निर्देश दिया कि पोक्सो अधिनियम के तहत दर्ज मामले में संवेदनशील रहें। पर्याप्त आधारों के साथ किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर न्यायालय में प्रस्तुत न करें। न्यायाधीश ने आदेश की प्रति आरक्षी अधीक्षक को भेजते हुए अनुसंधानकर्ता अलका कुमारी को पोक्सो से सम्बंधित मामले की संवेदनशी लता से अवगत करावें, ताकि ऐसी घटना की पुनरावृति नही हो सके। अदालत ने गिरफतार महिला को बंध पत्र पर मुक्त कर दिया। अब पुलिस अधीक्षक की जिम्मेदारी है कि वे इस प्रकार के मामलों पर सजग रहें ताकि पुलिस की गरिमा को बरकरार रखा जा सके।
भईया जी की रिपोर्ट