नवादा : नगर थाना क्षेत्र के बुधौल वृहद आश्रय गृह (बालिका यूनिट) की अधीक्षक कुमारी प्रियंका की आत्महत्या के मामले में पति व पुलिस के अपने-अपने दावे हैं। फिलहाल नगर थाने में अप्राकृतिक मौत (यूडी) का केस दर्ज किया गया है। 33 वर्षीया कुमारी प्रियंका सोमवार को अपने बंद कमरे में मृत पायी गयी थीं। उनका शव पंखे के सहारे लटका हुआ पाया गया था। पति द्वारा फोन पर वृहद आश्रय गृह की एक कर्मी को दी गयी सूचना के आधार पर डायल 112 की टीम वृहद आश्रय गृह पहुंची और दरवाजा तोड़कर भीतर घुसी। मृतका कुमारी प्रियंका यूपी के गोरखपुर के हरपुर बूहट थाने के सोनवर्षा बाबू गांव के ओमप्रकाश सिंह की पुत्री थी। वह अप्रैल-2024 से नवादा के वृहद आश्रय गृह में अधीक्षक के पद पर कार्यरत थी।
पति गणेश कुमार सारण जिले के मकेर थाना क्षेत्र के हलजलपुर गांव के रहने वाले हैं। वे सीवान के विद्यानंद केन्द्रीय विद्यालय में प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। पति-पत्नी के बीच चल रहा था विवाद, पुलिस के मुताबिक आत्महत्या का प्रथम दृष्टया कारण पति व पत्नी के बीच चल रहा विवाद है। इस सम्बन्ध में चार माह पूर्व नगर थाने में शिकायत भी की गयी थी। महिला पुलिस अधिकारी द्वारा मामले में काउंसलिंग करायी गयी थी। हाल में भी महिला पुलिस अधिकारी से अधीक्षक द्वार पति की शिकायत की गयी थी।
पति ने नवादा में दिये गये बयान में स्पष्टीकरण के कारण उसके तनाव में रहने की बात कही थी। जिसके कारण वीडियो कॉल पर बातचीत के दौरान उन्होंने पंखे से लटक कर फांसी लगा ली थी। पुलिस ने पति की मौजूदगी में देर शाम शव का पोस्टमार्टम कराया और कागजी औपचारिकताओं के बाद शव उन्हें सौंप दिया।
एक दिन पूर्व का है सुसाइड नोट
वहीँ, बताया जाता है कि कुमारी प्रियंका के कमरे से एक सुसाइड नोट मिला है जिसमें उन्होंने मौत के लिए किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया है। उन्होंने लिखा है कि वह अपनी जिंदगी से ऊब चुकी है। वह मरना चाहती है। इसमें किसी का कोई दोष नहीं है। आश्चर्य की बात यह कि सुसाइड नोट पर हस्ताक्षर के नीचे की तारीख 30 मार्च लिखी हुई बतायी जा रही है। तो क्या वह 30 से ही तनाव में थी और उसी दिन आत्महत्या करना चाहती थी? या फिर उसने 30 को ही आत्महत्या का निर्णय ले लिया था, जिसे उसने 31 मार्च की सुबह अंजाम दिया? मृतका अधीक्षक की जब्त की गयी मोबाइल से भी कई राजफाश होंगे। माना जा रहा है कि अनुसंधान में पूरे मामले का खुलासा हो सकेगा।
भईया जी की रिपोर्ट