नवादा : वैदिक पंचांग के अनुसार 12 मार्च को सूर्य देव कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश कर गये। इसके साथ ही 14 मार्च को सूर्य देव मीन राशि में प्रवेश कर गये। सूर्य के इसी गोचर के साथ 14 मार्च से खरमास आरंभ हो गया। इसके साथ ही कोई भी शुभ कार्य नहीं होगा।
धार्मिक मान्यता के अनुसार संक्रांति तिथि बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। सूर्य देव के राशि गोचर करने की तिथि को संक्राति कहते हैं। इस तिथि से लेकर सूर्य देव एक राशि में अगले 30 दिनों तक विराजमान रहते हैं। उसके बाद दूसरी राशि में गोचर करते हैं। सूर्य देव के धनु से मीन राशि में गोचर करने पर खरमास दोष लगता है। ऐसी मान्यता है कि उस अवधि में कोई भी विवाह और मंगलकारी कार्य नहीं करना चाहिए।
आरंभ हो गया खरमास
वैदिक पंचांग के अनुसार 12 मार्च को सूर्य देव कुंभ राशि में गोचर कर गये जबकि 14 मार्च को सूर्य देव का आगमन मीन राशि में हो चुका है। सूर्य के इसी गोचर के साथ 14 मार्च से खरमास दोष आरंभ हो गया। अब कोई मंगल कार्य एक महीने तक नहीं होगा। अब सूर्य देव 14 अप्रैल को मीन राशि से निकलकर मेष राशि में विराजमान होंगे और खरमास समाप्त होगा।
खरमास में क्यों नहीं करना चाहिए शुभकार्य
सूर्य देव के धनु से मीन राशि में गोचर करने के समय गुरु का प्रभाव शून्य हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि कोई भी शुभ कार्य के लिए गुरु के प्रभाव का होना अति आवश्यक और मंगलमय होता है।