नवादा : दी नवादा सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक एमडी द्वारा तकरीबन 32 करोड़ रूपये के घोटाले की बात सामने आ रही है। वैसे तो आये दिन विभिन्न सरकारी विभागों में एक से एक सरकारी राजस्व का गवन या घोटाले की बहुचर्चित मामले लगातार आते रहा है। इसमें कोई बहुत बड़ी आश्चर्य या ताज्जुब की बात नहीं है। ताजुब इस बात की है कि लाखों-करोड़ों रूपये के घोटाला एवं घोटालेबाजों पर सार्थक क़ानूनी करवाई नहीं होने के बजाय उनका बाल भी नहीं उखड़ पाता । उलटे चोर कोतवाल को ही डांटता व फटकारता है।
कांग्रेस के घटक संगठन इंटक के पूर्व जिलाध्यक्ष समाज सेवी प्रमोद कुमार ने दी नवादा सेंट्रल बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर अरुण कुमार और DCO दोनों के नापाक मिलीभगत से दी नवादा सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक से करीब 32 करोड़ रूपये घोटाला का आरोप लगाया है।सरकारी राजस्व गवन व घोटाले और अनियमितता के बहुत सारे सारगर्भित तथ्य और अनेकों सटीक प्रमाण उनके पास साक्ष्य के बतौर मौजूद रहने का दावा किया जा रहा है।
नवादा सेंट्रल बैंक के सहकारिता कमिटी ने आकलन किया है कि कोऑपरेटिव बैंक आज करोड़ों रूपये के घाटे में चल रही है, बावजूद बैंक में घोटालों का तांता लगा है। इंटक नेता प्रमोद कुमार ने बताया कि नवादा सहकारिता बैंक निदेशक द्वारा एकल हस्ताक्षर से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से लगभग 32 करोड़ रूपये सरकारी नियम कानून को ठेंगा दिखाकर निकासी करा लिया ,जिसे रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया ने भी नियम के घोर विरुद्ध और सरकारी राजस्व गवन का मामला मानता है। कम से कम तीन लोगों के हस्ताक्षर से ही बैंक से रूपये निकालना कानूनन वैध है अन्यथा अवैध है।
इतना ही नहीं,बल्कि नवादा सेंट्रल बैंक के एमडी के काली करतूतों की बड़ी लम्बी फेहरिश्त है। एमडी द्वारा सरकारी वाहन रहने के बावजूद नीजि वाहन का इस्तेमाल कर रहा है। एमडी खुद अपने पिता के नीजि वाहन का बेशर्मी से प्रयोग करते आ रहे हैं। राशि यानि भाड़े का भुगतान सहकारिता विभाग के द्वारा किया जा रहा है ,जो नियमतः गलत है। यह भी सरकारी राशि के गवन का एक नया फंडा नहीं है।
कर्मचारियों के वेतन बृद्धि के मामले में भी गलत तरीके का इस्तेमाल किया है,जो कोऑपरेटिव एक्ट के तहत अवैध है। इसमें भी भ्रष्टाचार व अनियमितता की गंदी खेल खेलकर सरकारी राजस्व का धोटाले किया गया है। धान अधिप्राप्ति की गति जिले में काफी धीमी रहने की खबर सोशल मीडिया वसमाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहा है। लक्ष्य से कम धान की अधिप्राप्ति होने पर ऊपरी दबाव के कारण मात्र तीन दिनों में धान की अधिप्राप्ति आखिर कैसे हो गई? यह भी जांच का अहम् विषय है। इसमें भी धोटाले व गवन की दुर्गन्ध आ रही है।
सिर्फ तीन दिनों में हुआ यह खेल
एमडी और DCO दोनों की मिली भगत से ही ऐसा संभव हुआ है। MD और मैनेजमेंट कमिटी के संयुक्त नापाक गठजोड़ से व्याप्त व्यापक अनियमितता का अम्बार की झड़ी लगाते हुए लगभग 32 करोड़ रूपये का सरकारी राजस्व को चुना लगाया गया है। घोटालेबाजों की ओर से इस सनसनीखेज मामले को दबाने की हर तरह की कोशिश में एड़ी-चोटी एक कर रहा है,लेकिन यह मसला दबने के बजाय और तेजी से धधकने लगा है।
इंटक नेता प्रमोद कुमार ने बताया कि सनसनीखेज घोटाले की जांच कर दोषी को दण्डित करने के उदेश्य से भारत सरकार के सहकारिता मंत्री अमित शाह,बिहार के सीएम नितीश कुमार, बिहार के सहकारिता मंत्री प्रेम कुमार, निबंधन सहयोग समिति सहकारिता विभाग के सचिव और रजिस्टार को आवेदन पत्र प्रेषित किया है।
आवेदक प्रमोद कुमार के द्वारा प्रेषित आवेदन के अलोक में बिहार के सीएम नितीश कुमार ने इस बहु-चर्चित घोटाले की जांच के लिए सहकारिता विभाग के सचिव और रजिस्टार को सिर्फ 10 दिन की तयशुदा समय सीमा के अंदर जांच कर आवेदक को सूचित करने का निर्देश दिया था। लेकिन तथाकथित सुशासन की राज में आज तक जांच होने की बातें तो दूर, अभीतक जांच कमिटी का गठन तक नहीं गया है।
भईया जी की रिपोर्ट