-कई प्रखंडों में तेजी से कम हो रहा भूजलस्तर, पेयजल पर भी पड़ेगा असर
नवादा : जिले में जलसंकट का गंभीर खतरा मंडरा रहा है। भीषण गर्मी के इस मौसम में कई प्रखंडों में जलसंकट देखने को मिल रहा है। एक आकलन ने और ज्यादा चिंता बढ़ा दी है। मेसकौर सहित जिले के कई प्रखंडों में भूजल स्तर में गिरावट तेजी से हो रही है। इसका सीधा असर पेयजल से लेकर सिंचाई तक को प्रभावित कर रहा है। ऐसे में वर्ष 2030 तक जिले कोगंभीर जलसंकट का सामना करना पड़ सकता है।
आकलन में यह भी कहा गया है कि न सिर्फ मेसकौर व कौआकोल बल्कि शेष प्रखंडों में भी तेजी से जल निकायों को भिन्न किस्म की चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है। सात बरसाती नदियों के जाल से घिरे जिले में हर साल जहां बाढ़ की विभीषिका बड़े स्तर पर फसलों को नुकसान पहुंचाती थी वहीं अब जल संकट को लेकर चेतावनी ने एक अन्य खतरे का संदेश दे दिया है।
हालिया अध्ययनों के अनुसार जिले में 2030 तक जल संकट की संभावना है। ऐसे में जल संरक्षण को लेकर तमाम तरह के प्रयास पर जोर देने की आवश्यकता है। इसमें नदियों के जल के बेहतर उपयोग के साथ ही झील, तालाब, पोखर जैसे जल निकायों को पुनर्जीवित करना शामिल है। वहीं भूजलस्तर बढ़ाने को लेकर सबसे ज्यादा काम करने पर जोर देने की आवश्यकता है।
मानसून के दौरान वर्षा जल के नालों में बहकर बर्बाद होने से बेहतर उसे जल निकायों और भूजल के रूप में परिवर्तित करने की जरूरत है। जिले में पिछले पांच वर्षों से दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत और विदाई में हुई देरी के कारण बारिश के दिनों की संख्या कम हो रही है। यह भी जिले में जल संकट के तेजी से गहराने का एक बड़ा कारण है।
गौरतलब है कि गर्मी के इस मौसम में जिले का तापमान लगातार 42 डिग्री सेल्सियस या उससे भी अधिक रिकॉर्ड किया जा रहा है। वहीं हीटवेव की वजह से चार लोगों के हताहत होने की सरकारी खबरें आई हैं। जल संकट को देखते हुए वैकल्पिक व्यवस्थाएं की गई हैं लेकिन वह नाकाफी साबित हो रही हैं। ऐसे में अगर अगले कुछ वर्षों तक वर्षा जल की कमी और जल दोहन का ज्यादा उपयोग होता रहता है तो यह 2030 तक गंभीर जल संकट का कारण बनेगा।