नवादा : नगर के गोंदापुर मोहल्ले के दंपती ने सनातन संस्कृति की परंपरा को गति देने की अपनी ओर से भरपूर कोशिश की। आजकल शादी की वर्षगांठ और जन्मदिन पर कैंडल जलाने- बुझाने और केक काटने की परंपरा चल रही है। इसको छोड़ कर एक दंपती ने अपना 12 वीं वर्षगांठ दीप जलाकर और माता की चौकी का आयोजन कर मनाया जिसकी चर्चा हर ओर हो रही है।
बताया जाता है कि गोंदापुर मोहल्ले के रहनेवाले दंपती राजीव कुमार और अर्चना कुमारी ने धार्मिक रीति रिवाज से अपना 12 वां शादी का सालगिरह मनाया। शादी की इस 12 वीं सालगिरह समारोह में महुल्ले में रहनेवाले बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया।
मौके पर लोगों ने पति-पत्नी को वर्षगांठ की शुभकामनाएं दीं और माता के भजनों का श्रवण किया। माता की भक्ति और दंपती के वर्षगांठ की खुशी में लोग देर रात तक झूमते और नाचते रहे। दंपती राजीव कुमार और अर्चना कुमारी ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं में अटूट आस्था रही है। यही कारण है कि अपने प्रत्येक वर्षगांठ और जन्मदिन पर धार्मिक आयोजन और पूजा पाठ कर ईश्वर को यह जीवन देने के लिए धन्यवाद करना उचित समझता हूं।
दीप जलाकर वर्षगांठ मनाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि हिन्दू संस्कृति में शुभ कार्य करने, पूजा करने या कोई आयोजन करने से पूर्व दीप जलाने की परंपरा रही है। हमारा जीवन भी भगवान की अनुकंपा और उनके आशीर्वाद से ही पुष्पित होता है। यह हमेशा प्रकाशवान और उयमान रहे, इसके लिए दीप ज्योति रूपी शक्ति मिलना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि हम सभी को न सिर्फ अपने जन्मदिन बल्कि किसी भी वर्षगांठ पर जो हम मनाते हैं उसे दीप जलाकर मनाना चाहिए, न की केक काटकर और दीप बुझा कर। उन्होंने कहा कि केक काटने और इस दौरान जलते हुए कैंडल (दीप) को बुझाने की परंपरा पाश्चात्य है। यह हमारी मान्यताओं और विचारों से मेल नहीं खाता,इसको लेकर उनकी अपनी मान्यताएं होंगी, लेकिन हम उन मान्यताओं का हिस्सा नहीं हैं , यह हम सभी को समझना चाहिये।