नवादा : जिले के अकबरपुर प्रखण्ड मुख्यालय बाजार नेज़ामां मदरसा बाबुल उलूम फैज़ान-ए-गौस द्वारा ईदगाह में आयोजित भव्य जश्न-ए-दस्तार हिफ़्ज़ कुरआन और गौसुल वरा कांफ्रेंस आदिबे-शहीर हज़रत अल्लामा मौलाना जहांगीर आलम महजूरूल कादरी, जिला अध्यक्ष तंज़ीम उलमाए हक नवादा की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन प्रसिद्ध नक़ीब हज़रत क़ारी दानिश रज़ा दिलबर ने अत्यंत अनोखे तरीके से किया। सभा का आरंभ अल्लाह तबारक व तआला के पवित्र कलाम, कुरआन की तिलावत से हुआ, जिसे मदरसा के उस्ताद हाफ़िज़ व क़ारी वसीम रज़ा फैज़ी ने किया। कार्यक्रम में देश के मशहूर उलेमा, मशाइख़, ख़ोताब-ए-इस्लाम और मद्दाहाने रसूल अक़रम ने शिरकत की।
पीरे तरीक़त हज़रत अल्लामा मौलाना सैयद आरफ अशरफ अशरफी जीलानी कछौछा शरीफ़, खानक़ाह चिश्तिया छोटा शेखपुरा नरहट के वली अहद शाहज़ादा-ए- ऐन उल उलेमा हज़रत अल्लामा सैयद सलमान चिश्ती, सैयाह युरोप और एशिया हज़रत अल्लामा नबील अख्तर नवाज़ी, ख़तीब-ए-हिंद हज़रत अल्लामा नोमान अख्तर फाएक जमाली काज़ी-ए- शहर और सरबराह-ए-आला दारुल उलूम फ़ैज़ुलबारी नवादा, मोफ़क्किर-ए-इस्लाम हज़रत अल्लामा मुफ़्ती मेज़फ्फर हुसैन रिज़वी, काज़ी शहर गया जैसे नामी उलेमाओं ने विषय आधारित गंभीर और सटीक संबोधन किया। शायरों में शान अली गयावी, गुलाम दस्तगीर फैज़ी, वक़ार ताबिश जमाली, मंज़र शाही, तनवीर फैज़ी, अली रज़ा नूरी, मुख़्तार वारसी, रईस कौसर जमाली, क़ारी वसीम रज़ा फैजी ने बारगाह-ए-नबवी में इश्क और मुहब्बत के फूल पेश किए, जिन्हें श्रोताओं ने सुना और जमकर सराहा।
मौलाना मुहम्मद जहांगीर आलम महजूरूल कादरी ने कहा कि मौलाना फरहान ख़ान सक़ाफ़ी एक मेहनती और संघर्षशील आलिम-ए-दीन हैं। उनके प्रयासों से ही आज मदरसा बाबुल उलूम फैज़ान-ए-गौस नेज़ामां तरक्की के मार्ग पर चल रहा है। साथ ही मदरसा के संरक्षक हाजी तबारक हुसैन साहब, सचिव डॉ. सैफुल इस्लाम कादरी साहब, क़ुदरत अली, मास्टर इरफान अंसारी, मास्टर इंतिखाब आलम और सभी सदस्यों की मेहनत भी सराहनीय है। जश्न-ए-दस्तार हिफ़्ज़ कुरआन में जिन भाग्यशाली विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र और हिफ़्ज़ कुरआन की सनद दी गई, उनमें डॉ. सैफुल इस्लाम कादरी अकबरपुर के सुपुत्र हाफ़िज़ मोहम्मद रैहामुल इस्लाम कादरी, हाफ़िज़ अफ़रोज़ आलम, हाफ़िज़ मोहम्मद अबू तालिब और हाफिज शहनवाज आलम शामिल हैं। कार्यक्रम में जिले कई प्रखंडों के मुसलमानों की काफ़ी संख्या में भागीदारी रही।
इसके अतिरिक्त क्षेत्रीय उलेमा और इमामों से भी पूरा मंच भरा हुआ था, जिनमें मौलाना जमशेद ख़ान अशरफी, मुफ़्ती नवेद सरवर मिस्बाही, मौलाना सादिक़ हुसैन अशरफी, मुफ़्ती मिस्बाहुल हसन मिस्बाही, मौलाना अमरुल्लाह अशरफी, क़ारी अनवर हुसैन रिज़वी, मौलाना जमशेद ख़ान रिज़वी, मौलाना इम्तियाज़ आलम ययाही, क़ारी फैयाज़ ख़ान रिज़वी, हाफ़िज़ हनीफ़ अशरफी, हाफ़िज़ गुलाम मुस्तफ़ा कादरी, मौलाना गुलज़ार जमाली, मौलाना साबिर हुसैन अशरफी, हाफ़िज़ शमीम अख्तर रिज़वी, मौलाना नेयाज़ नोमानी, हादी अशरफी और सूफ़ी अहमद अशरफी के नाम उल्लेखनीय हैं। कार्यक्रम सुबह के 4:30 बजे तक चला, फिर सलात व सलाम और हज़रत सैयद आरफ अशरफ अशरफ जीलानी की रिक्कत आमेज़ दुआ पर कांफ्रेंस का समापन हुआ। कार्यक्रम में बाहरी मेहमानों के लिए लंगर कादरी का विशेष इंतज़ाम था।
भईया जी की रिपोर्ट