पटना: पटना विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग में विभाग के अध्यक्ष प्रो. लक्ष्मी नारायण की अध्यक्षता में संस्कृत दिवस समारोहपूर्वक मनाया गया। इसमें विभिन्न संस्थानों के शिक्षकों के साथ ही विभागीय विद्यार्थी, शोधार्थी एवं अन्य गणमान्य लोग उपस्थित हुए।
विशिष्ट अतिथि के रूप में विभाग के शिक्षक डॉ. हरीश दास ने छात्रों को संस्कृत में लिखने एवं बोलने की प्रेरणा देते हुए कहा यदि हम पूरे मन से चाह लें तो थोड़े ही प्रयास में इसमें सफल हो सकते हैं। संस्कृत गीत के माध्यम से उन्होंने विद्यार्थियों को अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहने की सीख दी।
अध्यक्षीय उद्बोधन प्रस्तुत करते हुए प्रो. लक्ष्मी नारायण ने संस्कृत भाषा में वर्णित दार्शनिक एवं आध्यात्मिक रहस्य पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्पष्ट किया कि संस्कृत भाषा केवल अभिव्यक्ति अथवा संभाषण की ही भाषा नहीं अपितु जीवात्मा का परमात्मा से मिलन करने वाली भाषा है। यहां नर से नारायण की यात्रा सुगमता से संभव है। कोई नर श्रेष्ठ नारायण की शक्ति एवं आभा को सहज रूप से प्राप्त कर प्रकाशित हो सकता है एवं समाज को कैसे आलोकित कर सकता है, इसका ज्ञान हमें संस्कृत भाषा में प्राप्त होता है।
इससे पूर्व विभाग की छात्राएं उपासना आर्या, प्रचिति कुमारी, तन्नू कुमारी ने वेदों की ऋचाएं प्रस्तुत की, राजश्री ने चयनित श्रेष्ठ संस्कृत सुभाषितों को सुमधुर स्वर दिया। काजल कुमारी एवं निर्भय ने महाकवि कालिदास के पद्यों का मनोहारी वाचन किया, तनुजा कुमारी ने संस्कृत में ही संस्कृत भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला।
देवी सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं वंदना से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। सर्वप्रथम विद्यार्थियों के द्वारा संस्कृत गीत, संभाषण एवं काव्यपाठ की प्रस्तुति हुई। विभाग की ही अतिथि शिक्षिका डॉ. भारती कुमारी ने समस्त अतिथियों के लिए स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया।
समारोह में दर्शनशास्त्र विभाग के डॉ. राणा रणविजय सिंह, डॉ. मिथिलेश कुमार, अनुज कुमार, राजीव तिवारी इत्यादि लोगों ने भी आज के परिप्रेक्ष्य में अपने विचारों को रखा। धन्यवाद ज्ञापन विभाग की शोध छात्रा अर्पिता पॉल ने किया। कार्यक्रम का सफल संचालन संस्कृत संजीवन समाज के महासचिव डॉ. मुकेश कुमार ओझा ने किया।