जमुहार (रोहतास): एक समय राष्ट्रीय विचार के पत्रकारों का उपहास किया जाता था, जबकि अब वैसी स्थिति नहीं है। पत्रकारों से आग्रह है कि वे देश में हो रहे सकारात्मक परिवर्तनों की भी चर्चा करें और पूरे दमखम के साथ नकारात्मक विचार फैलाने वाली शक्तियों का प्रतिकार भी करें। उक्त बातें बिहार विधान सभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने रविवार को कहीं। रोहतास जिले के जमुहार स्थित गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय सभागार में नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स इंडिया की दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यसमिति के समापन सत्र को वे बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने आपातकाल के दिनों की चर्चा करते हुए कहा कि वह भी लोकवाणी नाम के प्रकाशन के साथ सक्रिय रूप से जुड़े थे और इस दौरान इस नीति पर काम किया कि हमारे किसी काम से किसी को भी नुकसान नहीं हो। उन्होंने महाभारत के संजय की चर्चा करते हुए कहा कि हमें अपने अतीत पर गर्व हो और हम वर्तमान में यथार्थ के धरातल पर खड़े रहे, तब जाकर ही हम एक स्वर्णिम भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।
पत्रकारिता के माध्यम से दलितों की समस्याओं को उद्घाटित करने की आवश्यकता
गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय के कुलाधिपति गोपाल नारायण सिंह ने आपातकाल के दौरान रामनाथ गोयनका के संघर्षों को याद किया। उन्होंने पत्रकारिता के माध्यम से दलितों की समस्याओं को उद्घाटित करने और उन्हें जोड़ने का कार्य करना चाहिए। यूनियन के पत्रकारों को समाज में हो रही टूटन रोकने के लिए अभियान चलाकर कार्य करना होगा।
सबसे बड़ी चुनौती विश्वसनीयता की
नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक मलिक ने कहा कि संघर्ष से निकली पत्रकारिता का सम्मान होना चाहिए। तकनीक के कारण आज पत्रकारिता बदल रही है। हमारी सबसे बड़ी चुनौती विश्वसनीयता की है। जमीनी सच्चाई को देखकर समाज की आंख-कान की भूमिका निभाने का प्रयत्न आज के पत्रकार करें।
मीडिया संस्थाओं के स्वनियमन और अवलोकन की आवश्यकता
नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स इंडिया के राष्ट्रीय महासचिव सुरेश शर्मा ने कहा विगत दो दिनों तक चले राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में हुए महत्वपूर्ण बातों को साझा किया। उन्होंने कहा कि लंबे समय बाद किसी हमारे राष्ट्रीय अधिवेशन में इतनी खुली चर्चा हुई है, जो स्वागत योग्य है। राष्ट्रीय विचार के पत्रकारों की समस्या है कि वे वोकल नहीं हैं। पत्रकारिता में किस प्रकार से निखार आए, यह विचारणीय है। मीडिया संस्थाओं के स्वनियमन और अवलोकन की आवश्यकता है।
यह आयोजन आगे के लिए पाथेय
नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स बिहार के अध्यक्ष राकेश प्रवीर ने अपने स्वागत संबोधन में कहा कि आज का दो दिनों का यह आयोजन आगे के लिए पाथेय बनेगा। एसपी जैन कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. गुरुचरण सिंह ने महात्मा गांधी के इंडियन ओपिनियन के हिंदी संस्करण का काम देखने वाले रोहतास निवासी भवानी दयाल संन्यासी के अवदानों को रेखांकित किया। नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स बिहार के महासचिव कृष्ण कांत ओझा ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए पत्रकारों को नारद से प्रेरणा लेकर कार्य करने की बात कही।
इसके अलावा गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय के प्रबंध निदेशक त्रिविक्रम नारायण सिंह, चिकित्सक डॉ. निर्मल कुशवाहा ने भी समापन समारोह को संबोधित किया। नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स बिहार के उपाध्यक्ष ददन पांडेय ने मंच संचालन किया। इस अवसर पर आयोजन समिति के सदस्यों को सम्मानित किया गया।