भारत—पाकिस्तान के बीच युद्ध जैसे हालात के और बदतर होते ही बिहार सरकार भी हरकत में आ गई है। आज मुख्यमंत्री ने पूर्णिया में सेना और सीमांचल वाले जिलों के अधिकारियों संग मीटिंग की। इसके अलावा राज्य में किसी भी आपदा से निपटने के लिए संपूर्ण रूप से तैयार रहने की बात कही गई है। इसके लिए अब पूरे बिहार में मॉक ड्रिल कराए जाएंगे। साथ ही शहरों और गांवों में सिविल डिफेंस वॉलंटियर की संख्या बढ़ाने का भी फैसला किया गया है और उनका मानदेय भी बढ़ा दिया गया है। मॉक ड्रिल के तहत गांव और शहरी आबादी को आपदा और उससे निपटने के तौर तरीकों के बारे में बताया जाएगा। इसके लिए पूरे बिहार में मॉक ड्रिल कराए जाएंगे।
बिहार सरकार युद्ध के और विकराल होने की आशंका को देखते हुए आपदा के प्रति लोगों को जागरूक करना चाह रही है।इससे आपदा के समय राहत-बचाव कार्यों को मजबूती से अंजाम दिया जा सकेगा। आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने बताया कि पटना में नागरिक सुरक्षा निदेशालय के कंट्रोल रूम को सक्रिय कर दिया गया है। देश सेवा करने के इच्छुक लोग नागरिक सुरक्षा कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं क्योंकि सरकार सिविल डिफेंस वॉलंटियर की संख्या बढ़ाने जा रही है। सरकार ऐसे स्वयंसेवकों को अब 750 रुपए रोजाना देगी। पहले इन्हें हर दिन 400 रुपये मिलते थे। इससे युवाओं को प्रेरणा मिलेगी और आपदा प्रबंधन का काम भी बेहतर होगा।
आपदा के लिहाज से बिहार सरकार का मुख्य फोकस सीमावर्ती जिलों पर है। इनमें नेपाल से लगती सीमा पर आने वाले जिले जैसे— चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज में नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों की संख्या बढ़ाना है। केंद्र सरकार की तरफ से भी बिहार के चार जिलों को नागरिक सुरक्षा जिला घोषित किया है। इनमें पटना, पूर्णिया, कटिहार और बेगूसराय शामिल हैं। ये जिले सीमाई तो नहीं हैं लेकिन यहां सरकार के महत्वपूर्ण संस्थान स्थित हैं। इसके अलावा चूंकि गया में बहुत से विदेशी पर्यटक आते हैं, इसलिए वहां भी नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों की संख्या बढ़ाने की बात कही गई है।