Patna: मोस्ट अवेटेड और चर्चित वेब सीरीज ‘मिर्जापुर’ के जिस भौकाल का दर्शकों को बेसब्री से इंतजार था, अब वो उनके सामने है. निर्देशक गुरमीत सिंह पिछले दो सीजन के जबरदस्त कलाकारों के साथ कहानी और किरदारों को खूबसूरती से आगे बढ़ाया है लेकिन जिस शॉक वैल्यू की या भौकाल की ऑडियंस को उम्मीद थी वो सीरीज में उस दमदार ढंग से उभर कर नहीं आती.कलाकारों की एक्टिंग सीरीज का प्लस पॉइंट है,लेकिन इसकी रफ्तार अगर पहले सीजन जैसी तेज-तर्रार होती, तो सोने पे सुहागा वाली बात बन जाती.
‘मिर्जापुर 3’ की स्टोरी
कहानी की शुरुआत पिछले सीजन के अंत से होती है,जैसा कि दर्शक जानते हैं कि ये बाहुबलियों के बल-छल-कपट और सत्ता की कहानी है. गुड्डू पंडित , मुन्ना त्रिपाठी को मार कर और कालीन भैया को अपने रास्ते से हटा कर मिर्जापुर का स्वघोषित बाहुबली बन चुका है. मगर वो इस बात से अनजान है कि शरद शुक्ला घायल कालीन भैया को बचा ले गया है और छुपकर उनका इलाज करवा रहा है. मिर्जापुर की गद्दी पर आसीन होने के बीच गुड्डू के रास्ते का कांटा है, शरद शुक्ला. उसी की तरह पश्चिम के कुछ बाहुबली गुड्डू को अपना सरताज मानने से इंकार करते हैं.पहले से ज्यादा खतरनाक बन चुकी लेडी डॉन गोलू,गुड्डू की राइट हैंड बन कर कदम-कदम पर उसे दुश्मनों की हर चाल से बचाती है. गुड्डू को रास्ते से हटाने के लिए शरद राज्य की मुख्यमंत्री और मुन्ना की पत्नी माधुरी यादव के साथ षड्यंत्र रचता है. भयमुक्त प्रदेश की मुहिम के साथ माधुरी अपना बदला लेने के लिए बाहुबलियों को ही बाहुबलियों के खिलाफ खड़ा करने की योजना बना रही होती है.
रिव्यू:
सीजन 3 में कालीन भैया को काफी कम स्क्रीन स्पेस दिया गया है, जिसकी कमी उनके चाहने वालों को जरूर खलेगी, वहीं मुन्ना का न होना भी याद आता रहता है. हां, सिहरन पैदा करने वाले एक्शन सीन, कोर्ट रूम ड्रामा, नेपाल में गुड्डू का जलवा, सीवान में हमला, गुड्डू और शरद की भिड़ंत जैसे सीक्वेंसेज दिलचस्प बन पड़े हैं. क्लाइमैक्स के दस मिनट दर्शकों को चौंकाने के लिए काफी हैं.संजय कपूर और कुणाल कुरैशी की सिनेमैटोग्राफी एक्शन सीन्स में खिलती है और आनंद भास्कर का संगीत औसत है, मगर जॉन स्टीवर्ट एडुरी का बैकग्राउंड स्कोर बांधे रखता है.
कैसी है कलाकारों की एक्टिंग?
एक्टिंग की बात करे तो इस बार गुड्डू पंडित का जलवा पूरी तरह से सिर चढ़कर बोल रहा है. वहीं शरद शुक्ला के रूप में अंजुम शर्मा ने संयमित एक्टिंग की है. माइंड गेम खेलने वाली लेडी डॉन गोलू के रूप में श्वेता त्रिपाठी छाई हुई हैं. सीमित स्क्रीन स्पेस में भी कालीन भैया के किरदार में पंकज त्रिपाठी अपनी गहरी छाप छोड़ते हैं. बीना के किरदार को रसिका उसी शिद्दत से निभाती हैं. सीएम माधुरी के किरदार को ईशा तलवार ने चतुराई से निभाया है. वहीँ विजय वर्मा को जाया किया गया है