राजधानी पटना में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गईं हैं क्योंकि शहर के चार बड़े अस्पतालों में पिछले 8 दिनों से ओपीडी पूरी तरह से ठप पड़ी है। लोग परेशान हैं और इलाज के लिए इधर से उधर भटक रहे हैं। अस्पतालों में अपनी सुरक्षा को लेकर PMCH, NMCH, AIIMS और IGIMS के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं। लेकिन इसका असर आम लोगों पर इस कदर हुआ है कि अब वे भगवान—भगवान की रट लगा रहे हैं। सुदूर जिलों से उपचार कराने आए रोगी हर आने-जाने वाले से यही पूछ रहे कि कल तो डॉक्टर साहब इलाज करेंगे न?
दरअसल, कोलकाता में अस्पताल ड्यूटी में तैनात एक जूनियर डॉक्टर के रेप और मर्डर के बाद देशभर के डॉक्टर अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। पटना के अस्पतालों के डॉक्टर भी सरकार से Central Protection Act लागू करने की मांग कर रहे हैं। यह पहली बार है जब पटना के चार बड़े अस्पतालों में एक सप्ताह से भी ज्यादा से ओपीडी सेवाएं ठप हैं। सबसे अधिक परेशानी बिहार के दूर-दराज के इलाकों से इलाज कराने आने वाले मरीजों को हो रही है।
गनीमत यही है कि जूनियर डॉक्टरों ने इमरजेंसी और ICU सेवाओं को जारी रखा है। लेकिन ओपीडी बंद होने से गरीब मरीज जो प्राइवेट डॉक्टरों की मोटी फीस देने में अक्षम हैं, वे केवल भगवान—भगवान जप रहे हैं। कई मरीजों, खासकर गंभीर बीमारियों वाले, ऐसा करने पर मजबूर हैं क्योंकि धरती के भगवान के हड़ताल पर जाने से उनके लिए अब उपर वाले भगवान का ही सहारा है।
ओपीडी सेवाएं ठप होने से सबसे अधिक परेशानी उन मरीजों को हो रही है जिन्हें सर्जरी के बाद फॉलो-अप के लिए आना था, या जिन्हें किडनी, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज कराना है। इधर जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगें नहीं मान लेती, वे हड़ताल जारी रखेंगे। वे प्रशासन से लिखित में सेंट्रल प्रोटेक्शन एकट लागू करने का आश्वासन चाहते हैं।