अब यह पूरी तरह कन्फर्म हो गया है कि बहुचर्चित लोकगायिका मैथिली ठाकुर BJP के टिकट पर आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगी। मैथिली ठाकुर ने अब खुद भी कह दिया कि अगर उन्हें BJP से चुनाव लड़ने का टिकट मिलता है तो वे इसे स्वीकार करेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि दरभंगा और मधुबनी उनके घर जैसे हैं। ऐसे में वो अपने क्षेत्र के लोगों की सेवा करना चाहती हैं और इसके लिए उन्होंने अपनी दो चुनावी सीटों के नाम भी बता दिये। मैथिली ने अलीनगर या बेनीपट्टी विधानसभा सीटों में से किसी एक पर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। ये दोनों ही सीटें उनके गृह क्षेत्र के करीब हैं। अगर BJP की बात करें तो उसे भी मिथिलांचल में पार्टी के लिए एक बड़े चेहरे की लंबे समय से तलाश रही है। मैथिली के BJP में आने से पार्टी की यह तलाश हर लिहाज से पूरी होती दिख रही।
भाजपा का मास्टरस्ट्रोक
दरअसल, मैथिली ठाकुर न केवल एक बड़ी सांस्कृतिक हस्ती हैं, बल्कि वह मैथिल ब्राह्मण समुदाय से भी आती हैं, जिसकी मिथिला क्षेत्र में एक अच्छी खासी और प्रभावशाली संख्या है। अगर बीजेपी उन्हें अपना उम्मीदवार बनाती है, तो यह कदम केवल एक सीट तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका व्यापक राजनीतिक और सामाजिक संदेश पूरे मिथिलांचल में जाएगा। मैथिली ठाकुर मिथिलांचल का एक बहुत बड़ा और प्रभावशाली चेहरा हैं। मैथिली और भोजपुरी जैसी स्थानीय भाषाओं में लोकगीत, छठ गीत, कजरी और पारंपरिक भजन गाती हैं। उनके पिता रमेश ठाकुर भी संगीतकार हैं, जिन्होंने उन्हें बचपन से ही संगीत की शिक्षा दी, जिससे उनकी संगीत की जड़ों पर मिथिला की छाप गहरी है। मैथिली ठाकुर की लोकप्रियता केवल बिहार तक ही सीमित नहीं है, लेकिन मिथिलांचल में यह अत्यधिक प्रभावी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनके लाखों फॉलोअर्स हैं, खासकर युवाओं के बीच उनकी जबरदस्त फैन फॉलोइंग है। यह उन्हें किसी भी राजनीतिक दल के लिए एक ‘गेम चेंजर’ या प्रभावशाली चेहरा बनाता है।
मिथिलांचल के वोटरों में संदेश
राजनीतिक विश्लेषक राकेश प्रवीर बताते हैं कि मैथिली ठाकुर का भाजपा में आना और चुनाव लड़ना केवल एक सीट तक सीमित नहीं रहेगा। बल्कि इसका व्यापक राजनीतिक और सामाजिक संदेश पूरे मिथिलांचल में जाएगा। मैथिली ठाकुर को मैदान में उतारने से बीजेपी एक साथ कई लक्ष्य साध सकती है। मिथिलांचल में ब्राह्मण समुदाय परंपरागत रूप से बीजेपी का समर्थक माना जाता रहा है। इस समुदाय की एक लोकप्रिय ‘बेटी’ को टिकट देने से उनका समर्थन और भी एकजुट हो सकता है। यह कदम समुदाय के युवाओं और महिलाओं को भी पार्टी की ओर आकर्षित करेगा। मैथिली ठाकुर का चुनाव लड़ना ‘मिथिला की बेटी’ के सम्मान से जोड़ा जाएगा, जिससे वह क्षेत्रीय भावनाओं को भुनाते हुए जातिगत समीकरणों से ऊपर उठकर भाजपा को वोट हासिल करवा सकता है।
युवा और महिला पर प्रभाव
मैथिली अपनी युवावस्था, सोशल मीडिया पर जबरदस्त फॉलोविंग और महिला होने के कारण, वह युवा और महिला वोटरों को बड़ी संख्या में प्रभावित करने की क्षमता रखती हैं। मैथिली ने चुनावी चर्चाओं के बीच कहा भी कि अब वे अपने गृह राज्य बिहार लौटकर अपने क्षेत्र की जनता की सेवा करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि अगर वाे अपने क्षेत्र की सेवा कर पाती हैं तो उनके लिए इससे बड़ी खुशी की बात कोई और नहीं हो सकती। दूसरी ओर मैथिली ठाकुर अभी सिर्फ 25 साल की हैं। लेकिन सोशल मीडिया पर उनकी जबरदस्त फैन फॉलोइंग है। यही कारण है कि भाजपा नेताओं ने भी इस चुनावी पर्व से ठीक पहले उन्हें एप्रोच किया। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने बीते दिनों मैथिली से मुलाकात के बाद अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स से मैथिली तस्वीर शेयर कर लिखा कि—जिन परिवारों ने लालू राज के दौरान 1995 में बिहार छोड़ दिया था, उस परिवार की बेटी मैथिली ठाकुर अब बदलते बिहार की रफ्तार देखकर वापस आना चाहती हैं। साफ है कि चुनाव से ठीक पहले मिथिलांचल में BJP एक वेल प्लांड योजना पर चल रही है जिसमें मैथिली ठाकुर उसकी पहचान होने का दम रखती हैं।