बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए आज शुक्रवार से नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है। लेकिन अभी तक महागठबंधन में सीट बंटवारे पर कोई अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है। खबर है कि RJD और कांग्रेस के बीच कुल 5 सीटों पर अभी भी पेंच फंसा हुआ है। ये सीटें हैं—बायसी, बहादुरगंज, रानीगंज, कहलगांव और सहरसा। महागठबंधन सूत्रों के अनुसार दोनों दल इन 5 सीटों में से कोई भी सीट छोड़ने को तैयार नहीं हैं। इसके साथ ही महागठबंधन में सीएम फेस पर भी मतभेद बरकरार है। महागठबंधन के एक वरिष्ठ नेता के हवाले से कहा गया है कि दोनों दलों में कोई भी एक भी सीट छोड़ने को तैयार नहीं है। उन्होंने बताया कि महागठबंधन में सहयोगी दलों की संख्या बढ़ जाने से हर पार्टी को अपने कोटे में कटौती करनी पड़ेगी, तभी मामला सुलझ सकता है। वरना अभी तक की स्थिति यह है कि सहयोगी दलों की आपसी बातचीत काफी पेचीदा हो गई है।
पिछले चुनाव में पांचों सीटों पर हुई थी हार
महागठबंधन में खींचतान और दलीय मनमुटाव की बानगी कल गुरुवार को ही तब देखने को मिली थी जब तेजस्वी यादव अकेले प्रेस कॉन्फ्रेस के लिए पहुंचे। वहां भी उन्होंने शीट शेयरिंग के फॉर्मूले को लेकर कोई बात नहीं की। सूत्रों के अनुसार बायसी (पूर्णिया), बहादुरगंज (किशनगंज), रानीगंज (अररिया), कहलगांव (भागलपुर) और सहरसा सीट को लेकर राजद और कांग्रेस दोनों अड़ गए हैं। 2020 के चुनाव में RJD ने रानीगंज, सहरसा और बायसी पर चुनाव लड़ा था। जबकि कहलगांव और बहादुरगंज कांग्रेस के खाते में थी। दिलचस्प बात यह कि दोनों ही पार्टियां इन पांचों सीटों पर जीत नहीं सकी थी। 2020 के चुनाव में कहलगांव सीट BJP के पवन कुमार यादव ने जीती थी जबकि कांग्रेस के शुभानंद मुकेश दूसरे स्थान पर रहे थे। रानीगंज में JDU के उम्मीदवार ने RJD को मामूली अंतर से हराया था। जबकि सहरसा में BJP ने जीत दर्ज की थी। AIMIM ने बायसी और बहादुरगंज दोनों सीटें जीती थीं। लेकिन दोनों विधायक बाद में RJD में शामिल हो गए।
राजद का एकतरफा ऐलान, कांग्रेस नाराज
खबर है कि इन 5 सीटों को लेकर महागठबंधन में कांग्रेस और राजद के बीच कई दौर की लंबी बैठकें हो चुकी हैं। लेकिन अब तक सहमति नहीं बन पाई है। सूत्रों का कहना है कि इस बार महागठबंधन में सहयोगी दल ज्यादा हैं और सभी को एडजस्ट भी करना है। लेकिन असल दिक्कत यह है कि कोई भी कम सीटों पर मानने को तैयार नहीं। इस बार RJD चाहती है कि कांग्रेस कहलगांव और बहादुरगंज छोड़ दे। जबकि कांग्रेस रानीगंज, सहरसा और बायसी अपने पास रखना चाहती है। मामला तब और गंभीर हो गया जब RJD ने कांग्रेस को बिना बताए कहलगांव सीट पर एक यादव उम्मीदवार को टिकट देने का वादा कर दिया। कहा जा रहा कि झारखंड में मंत्री संजय यादव के बेटे रजनीश यादव को यहां से RJD उम्मीदवार बनाने की घोषणा अपनी बिहार यात्रा के दौरान खुद तेजस्वी ने कर दी थी। 2020 के चुनाव में कहलगांव सीट BJP के पवन कुमार यादव ने जीती थी जबकि कांग्रेस के शुभानंद मुकेश दूसरे स्थान पर रहे थे। उधर कांग्रेस तेजस्वी को महागठबंधन का CM फेस घोषित करने के भी पक्ष में नहीं है। कांग्रेस का मानना है कि ऐसा करने से गैर-यादव ओबीसी वोट NDA की ओर जा सकते हैं। वहीं RJD का कहना है कि महागठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते मुख्यमंत्री पद का फैसला वही करेगी।