करीब 300 साल बाद एक बार फिर प्रभु श्रीराम का तिलकोत्सव, स्वयंवर और विवाह होगा। इसके लिए आज 16 नवंबर को बजाप्ता माता सीता के नैहर जनकपुर से बिहार होते हुए करीब 500 से भी अधिक तिलकहरू भगवान का तिलक चढ़ाने अयोध्या के श्रीराम मंदिर परिसर के लिए कई गाड़ियों और रथों के काफिले में निकले। तिलकहरुओं का काफिला नेपाल के जलेश्वर, मलंगवा, धनकौला, गढ़ी माई होते हुए 17 की सुबह बीरगंज के रास्ते बिहार के रक्सौल बॉर्डर से भारत में प्रवेश करेंगा। फिर सुगौली, हरेराज, गोपालगंज के रास्ते गोरखपुर होते हुए देर रात अयोध्या पहुंचेंगा। वहां 18 नवंबर को भगवान श्रीराम का तिलक समारोह होगा। इसके बाद 26 नवंबर को भगवान राम अयोध्या से बारात लेकर जनकपुर जायेंगे जहां 6 दिसंबर को स्वयंवर के बाद रात्रि में उनका माता सीता के साथ विवाह संपन्न होगा।
6 बसों, 50 कारों, ट्रक और रथ का काफिला जनकपुर से रवाना
काफी पहले यह आयोजन करने की परंपरा थी। लेकिन कालखंड में करीब 300 वर्ष पूर्व कतिपय कारणों से यह बंद हो गई। अब अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के बाद पहली बार माता सीता के मायके नेपाल स्थित जनकपुरधाम से 500 से अधिक जनकपुरवासी तिलक चढ़ाने दामाद के यहां अयोध्या पहुंचेंगे इसके लिए तैयारियां पूरी कर ली गईं हैं। जनकपुर निवासी विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष संतोष शाह के अनुसार 16 नवंबर को जनकपुर धाम से लगभग 500 की संख्या में तिलकहरू अयोध्या के लिए काफिले के साथ प्रस्थान करेंगे।
मधेश CM, जनकपुर मेयर व सीता मंदिर के महंथ चढ़ायेंगे तिलक
तिलकहरुओं के काफिले में करीब 6 बसें, 50 चार पहिया वाहन, एक ट्रक और एक रथ जिसपर गेरुआ परिधान पहने भगवान की ससुराल के लोग दामाद श्रीराम का तिलक लेकर 17 नवंबर को भारत में प्रवेश करेंगे। 18 नवंबर की दोपहर 2 बजे अयोध्या में राम मंदिर के प्रांगण में तिलकोत्सव का आयोजन होगा। नेपाल के मधेश प्रदेश के मुख्यमंत्री सतीश कुमार सिंह, जनकपुर के मेयर मनोज शाह और राम जानकी मंदिर के महंत राम रोशन दास दामाद श्रीराम का तिलक चढ़ाएंगे।
18 नवंबर को तिलक तथा 6 दिसंबर को राम-सीता का विवाह
मिली जानकारी के अनुसार 6 दिसंबर को सजधज कर प्रभु श्रीराम पालकी में सवार होकर अयोध्या से बरात लेकर बिहार होते हुए नेपाल के जनकपुर स्थित रंगभूमि मैदान पहुंचेंगे। ऐसी मान्यता है कि सीता का स्वयंवर इसी स्थान पर हुआ था। यहां पहुंचने के पश्चात सबसे पहले राजाराम जी की आरती उतारी जाएगी और ससुराल वाले अपने दामाद पर फूलों की वर्षा कर बरातियों का स्वागत करेंगे। इसके पश्चात पालकी को नगर परिक्रमा कराकर राम जानकी मंदिर पहुंचाया जाएगा, जहां धूमधाम और संपूर्ण रीति रिवाज के साथ राम—सीता विवाह संपन्न होगा।
तिलक में सोने की चेन, चांदी की मटर माला और ढेरों उपहार
जनकपुरवासी अपनी बेटी सीता के तिलक में किसी प्रकार की कमी नहीं छोड़ना चाहते हैं। इसके लिए तिलक सामग्री में बेटी के यहां से भार स्वरूप राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के लिए सर्दी और गर्मी के कपड़े, पीतल और फूल के बर्तन, 11 प्रकार के सीजनल फल, मेवा और नेपाल की प्रमुख मिठाइयां चढ़ाएंगे। दामाद श्री राजाराम के लिए सोने की चेन, चांदी की मटर माला, चांदी की सुपारी और पान का पत्ता चढ़ाई जाएंगी। अन्य उपहारों में नेपाल की कुछ करेंसी भी तिलक में चढ़ाई जाएगी। 19 नवंबर को सुबह नाश्ता के पश्चात तिलकहरू वापस जनकपुर के लिए प्रस्थान करेंगे।
26 को निकलेगी अयोध्या से भगवान श्रीराम की बारात
26 नवंबर को अयोध्या से 300 वर्षों के अंतराल के बाद एक बार फिर 500 से अधिक की संख्या में बाराती राजाराम के ससुराल जनकपुर के लिए प्रस्थान करेंगे। अयोध्या, आजमगढ़, बिहार के बक्सर, पटना, मुजफ्फरपुर के कांटी, सीतामढ़ी, बेनीपट्टी, मधवापुर होते हुए 2 दिसंबर को मटियानी से नेपाल के बॉर्डर में प्रवेश करेंगे। यहां से 3 दिसंबर को जनकपुर धाम बारात पहुंचेगी। 4, 5, 6 और 7 तक नेपाल में रहने के पश्चात बाराती 8 दिसंबर की सुबह जनकपुरधाम से अयोध्या के लिए प्रस्थान करेंगे।