बिहार की राजनीति में लालू लीला का एक नया धारावाहिक फिर से शुरू हो गया है। इसमें पहला एपिसोड अत्यंत रोचक है और ध्यान से देखने पर इस धारावाहिक का पूरा स्क्रिप्ट सामने आ जा रहा है। बिहार का एक अखबार इस धारावाहिक में सूत्रधार की भूमिका में आ गया है। तो, आइये जानते हैं कि क्या है लालू लीला धारावाहिक की पटकथा, कथा और अंतर्कथा।
बापू सभागार में अटल जयंती पर हुआ क्या
25 दिसम्बर को बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान के पास स्थित बापू सभागार में अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मशताब्दी व महामना पंडित मदनमोहन मालवीय की जयंती के अवसर पर एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया था। इस समारोह में अटलजी के काव्यों का मंचन हुआ। कला, साहित्य, समाजसेवा, खेल जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को सम्मानित भी किया गया था। अटल बिहारी वाजपेयी मंत्रिमंडल के सहयोगियों को भी विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। आयोजकों ने अटल मत्रिपरिषद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी आमंत्रित किया था। अटल मंत्रिमंडल के डा.सीपी ठाकुर, संजय पासवान, शाहनवाज हुसैन जैसे उनके सहयोगी इस कार्यक्रम में शामिल हुए और सम्मान भी ग्रहण किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुछ कारणों से शामिल नहीं हो सके।
गायिका देवी की चूक और मूल भजन
कलाकार के रूप में इस कार्यक्रम में सम्मानित होने के बाद भोजपुरी गायिका देवी को जब अपनी भावना व्यक्त करने को कहा गया तब उन्होंने महात्मा गांधी के प्रिय भजन रघुपति राधव राजा राम..पतिप पावन सीता राम…अल्ला ईश्वर तेरो नाम, भजन गाना शुरू कर दिया। इसी बीच कहीं पीछे से चार-पांच युवक आए और कहने लगे कि यह मूल भजन नहीं है। इसमें तोड़—मरोड़ किया गया है। चिल्ला रहे युवक कह रहे थे कि हमें भी अभिव्यक्ति की आजादी है। हम महात्मा गांधी नहीं, बल्कि मूल भजन में अनैतिक बदलाव पर अपनी बात रखना चाहते हैं।
रिपोर्टिंग धर्म की उपेक्षा या लापरवाही
पत्रकारिता धर्म यह है कि उस पूरे कार्यक्रम की रिपोर्टिंग हो और उसमें उन युवकों के विरोध या अराजक व्यवहार की भी चर्चा हो। हरिवंश जैसे प्रख्यात संपादक के खून पसीने से वटवृक्ष की मानिंद तैयार एक अखबार ने उस पूरे कार्यक्रम की उपेक्षा करते हुए चार-पांच अराजक लोगों के व्यवहार को अपने अखबार के प्रथम पेज पर स्थान दे दिया। सामान्य बुद्धि वाले पढ़े लिखे लोग इसे दुर्भावना से प्रेरित कृत मान रहे हैं। वहीं कुछ लोगों का यह मानना है कि लालू यादव के इशारे पर अखबार के जिम्मेदार लोगों ने इसे प्रथम पेज पर स्थान दिया जिससे लोगों में इस छोटी सी घटना का जिक्र हो। इसे वायरल कराया जा सके। इस खबर को भाजपा या राष्ट्रीय संगठनों की ओर से बिहार में गांधी विरोधी अभियान का एक टूल बनाया जा रहा है।
लालू की सारे मामले में ऐसे हुई एंट्री
यहीं पर स्क्रिप्ट में एंट्री होती है सत्ता से बेदखल लालू यादव एण्ड कम्पनी की जो इस समय जल बिन मछली की तरह तड़प रही है। इनकी मंशा वही कि किसी भी तरह बाल की खाल खींच कर भ्रम का ऐसा धुंध खड़ा कर दो कि तुनुक मिजाज नीतीश कुमार एनडीए से बाहर आकर नया गठबंधन बनाएं। किसी भी सूरत में सत्ता में वापस आने के लिए छोटे-छोटे विवाद को भी तूल देने की रणनीति पर बड़े ही सुनियोजित तरीके से काम हो रहा है। इसमें लालू से उपकृत पत्रकारों का महत्वपूर्ण रोल तय किया गया है। बापू सभागार वाली घटना को तूल देने में लालू के दरबारी पुराने पत्रकार की भूमिका का जिक्र हो रहा है।
इस तरह शुरू हुई लालू की लीला
बापू सभागर वाली खबर को जोडते हए लालू यादव ने अपने एक्स अकाउंट से जो पोस्ट किया है उससे बहुत कुछ स्पष्ट हो जाता है। लालू ने अपने पोस्ट में लिखा है कि पटना में कल गायिका ने जब गांधी जी का भजन रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम गाया तो नीतीश कुमार के साथी भाजपाइयों ने हंगामा खड़ा कर दिया। भजन से ओछी समझ के टुच्चे लोगों की भावनएं आहत हो गयी। भाजन गायिका देवी को मांफी मांगनी पड़ी।
भाई बीरेंद्र का नीतीश को आफर
लालू यादव ने एक्स पर अपने इस पोस्ट के माध्यम से नीतीश को उकसाने का प्रयास किया है। वहीं लालू यादव की पार्टी के विधायक भाई बीरेंद्र ने मीडिया के सामने यह कह दिया कि राजनीति में कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता है। हम नीतीश जी का स्वागत करेंगे। वहीं नीतीश कुमार के आसपास रहने वालों का कहना है कि नीतीश कुमार करप्शन और कम्युनलिज्म से कोई समझौता नही कर सकते हैं। कुछ अराजक लोगों के अशोभनीय व्यवहार को ज्यादा महत्व वे नहीं दे रहे हैं।
कन्फ्यूजन क्रिएट करने का मकसद
इसके बावजूद मीडिया के एक वर्ग के द्वारा लगातार यह बात फैलायी जा रही है कि नीतीश कुमार भाजपा से नाराज हैं। नीतीश कुमार ने आयोजन के कुछ घंटे बाद ही उस कार्यक्रम की पूरी रिपोर्ट मंगा ली थी। विडियो में स्पष्ट दिख रहा है कि जोर-जोर से चिल्ला रहे युवकों को आयोजक डांट कर बाहर जाने को कह रहे हैं। इसी बीच एक युवक यह कहता सुना जा रहा है कि हमें भी अपनी बात कहने का अधिकार है। हम प्रमाण के साथ अपनी बात कहना चाहते हैं। हमारे साथ दुर्व्यवहार हो रहा है।
नीतीश की मजबूरी बताने की कोशिश
उस घटना के बाद बिहार के राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा तेज हो गयी है कि लालू यादव के बेटे तेजस्वी नीतीश कुमार से गुप्त रूप से मिल चुके हैं। भाजपा के साथ वे असहज हैं क्योंकि भाजपा उनकी पार्टी के एमपी से सीधा सम्पर्क कर रही है। ऐसे में उन्हें अपनी पार्टी के टूटने या समाप्त होने का भय सता रहा है। लालू यादव और उनकी पार्टी नीतीश कुमार को इस संकट से उबारने में लगे हैं। वे नीतीश कुमार को उसी प्रकार से एनडीए छोड़ने पर मजबूर करेंगे जैसे सुशील मोदी ने किया था। लेकिन, बिहार की राजनीति में अब वह प्रयोग शायद कारगर नहीं हो। लेकिन, राजनेता ऐसे प्राणी हैं जो सत्ता के लिए सब कुछ करने को तैयार रहते है।