Patna: बिहार के कृषि रोडमैप की विवेचना कुछ इस प्रकार से है.बिहार की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है और किसान जो हमारे अन्नदाता हैं उनके लिए सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं जिनमें कृषि रोडमैप सबसे प्रमुख है, बिहार के लगभग 93.60 लाख हेक्टेयर भूमि में 79.46 लाख हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है.यहां 76 प्रतिशत लोग आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं। राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का 18 प्रतिशत योगदान है.किसानों की आमदनी को बढ़ाने, फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि के लिए सरकार ने सकारात्मक कदम उठाए और इसके लिए वर्ष 2008 में पहला कृषि रोडमैप तैयार किया गया.इसके सुचारू रूप से समायोजन के लिए 17 फरवरी 2008 को किसान पंचायत का आयोजन भी किया गया.इस पहले कृषि रोडमैप से प्रेरित होकर कहीं-कहीं तो किसानों ने ऐसा काम किया कि उन्हें दुनियाभर में प्रशंसा मिली.नालंदा के किसान ने इस तरह से काम किया कि चावल की उत्पादकता में चीन का रिकॉर्ड तोड़ दिया और आलू की उत्पादकता में नालंदा जिले के एक गांव ने विश्व कीर्तिमान बनाया.वर्ष 2011 में दूसरे कृषि रोडमैप को तैयार करने के लिए कृषि कैबिनेट का गठन किया गया.इसको विस्तार देते हुए 18 विभागों को सम्मिलित किया गया.
उत्पादन एवं उत्पादकता में व्यापक प्रगति हुई
इस रोडमैप में 2017 के लिए विस्तृत कार्यक्रम था तथा 2022 तक के लिए सांकेतिक लक्ष्य निर्धारित किया गया.दूसरे कृषि रोडमैप से भी उत्पादन एवं उत्पादकता में व्यापक प्रगति हुई.बिहार को वर्ष 2012 में चावल, वर्ष 2013 में गेहूं तथा वर्ष 2016 में मक्का के उत्पादन में उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए भारत सरकार द्वारा कृषि कर्मण पुरस्कार दिया गया.वर्ष 2012 में धान की 224 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा आलू के 729क्विंटल प्रति हेक्टेयर का विश्व कीर्तिमान स्थापित हुआ. चावल एवं गेहूं उत्पादन में राज्य देश में छठे स्थान पर है. सब्जी उत्पादन में राज्य देश में तीसरे स्थान पर है और राज्य लीची उत्पादन में देश में प्रथम, आम में चौथे, अमरुद में पांचवे एवं केला में छठे स्थान पर है. मखाना में देश के कुल उत्पादन का 85 से अधिक का उत्पादन करके राज्य देश में पहले स्थान पर है.शहद उत्पादन में राज्य देश में दूसरे स्थान पर है.
तीसरे रोडमैप का कार्यकाल 2017 से 2022 तक था
आगामी पांच वर्षों में फसलों के विविधिकरण, बेहतर सिंचाई सुविधा, भूमि और जल संरक्षण, जलवायु अनुकूल कृषि, जैसे विषयों पर बल दिया जायेगा.बिहार कृषि रोडमैप बनाकर विकास कर रहा है. ये बात राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बिहार के चौथे कृषि रोड मैप को लॉन्च करने के बाद कहा था कि “सीएम नीतीश कुमार ने बताया कि वर्ष 2011-12 में नालंदा के एक किसान ने धान के उत्पादन में प्रति हेक्टेयर की उपज में कीर्तिमान बनाकर चीन को पीछे छोड़ दिया. आलू के उत्पादन में भी नालंदा के एक गांव ने वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया”. सीएम ने बताया कि 2012 से 2017 के बीच दूसरे रोडमैप में कई अहम काम हुए और इसमें फल, दूध, सब्जी, अंडा और मछली का उत्पादन बढ़ा. बताया गया कि तीसरे रोडमैप का कार्यकाल 2017 से 2022 तक था लेकिन इसमें एक साल की बढ़ोतरी की गयी थी. अब 2024 के रोडमैप पर काम होगा. वहीं सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि पांचवें कृषि रोड मैप की अब जरुरत नहीं पड़ेगी.
कृषि रोड मैप से क्या-क्या हो सकता है..?
-दहलनी और तेहलनी फसलों का उत्पादन बढ़ाया जाएगा. पेस्टीसाइड का कम से कम इस्तेमाल होता और सेहतमंद अनाज उगाने पर जोर दिया जाएगा.
-मिट्टी और जल के संरक्षण पर रिसर्च के लिए गया में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनेगा. मौसम के अनुकुल खेती के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी.
-तालाब और चेकडेम बनाने का टारगेट रखा गया है ताकि हर खेत तक पानी पहुंच सके.
-बंजर भूमि को भी उपयोग में लाया जाएगा. इसमें लेमनग्रास और मेंथा की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा.
-100 सीड हब और 20 मिलेट हब बनाया जाएाग.
-मोटे अनाज का उत्पादन बढ़ाने के लिए मिशन बनाकर कार्यक्रम चलाया जाएगा.
-पुआल प्रबंधन औश्र कृषि उत्पाद को लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए सेकेंडरी एग्रीकल्चर कॉलेज खुलेंगे.
-भागलपुर के सबौर में सेकेंडरी एग्रीकल्चर कॉलेज खुलेगा. यहां पीजी स्तर की पढ़ाई मिलेगी और डिग्री एमटेक की दी जाएगी.
-पौधा संरक्षण केंद्रों का परिचालन होगा, जो पीपीपी मोड में रहेगा. इस क्षेत्र में युवाओं को रोजगार भी मिलेगा.
-4.80 लाख पंप सेट को फ्री बिजली कनेक्शन मिलेगा.
-कृषि फीडर में 31078 ट्रांसफाॅर्मर का वितरण किया जायेगा.
-कृषि विपणन निदेशालय की स्थापना होगी.
-534 मोबाइल पशु चिकित्सा यूनिट संचालित होंगे.
-101 पशु अस्पताल खुलेंगे.
तीसरे कृषि रोड मैप पर ऑर्गेकिन खेती पर जोर दिया गया
अब अगर इसके इतिहास के बारे में बात करते है तो गौरतलब है कि जब तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम वर्ष 2006 में बिहार आए थे तो उन्होंने कृषि के भविष्य और इसमें बिहार के लोगों की भविष्य को लेकर उन्होंने कई अहम बातें कही थीं. कृषि को लेकर उन्होंने तब बड़े-बड़े सुझाव दिए थे. वहीं सीएम नीतीश कुमार मजबूती से इस रोड मैप को लेकर चर्चे में रहे. बिहार सरकार ने रोड मैप बनाकर कृषि के क्षेत्र में उन्नति हासिल की. वर्ष 2008 में पहला कृषि रोड मैप को लाया गया था. वर्ष 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीसरे रोड मैप की शुरुआत की थी. दूसरे रोड मैप की तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने शुरुआत की थी. पहले रोड मैप में किसानों की आया बढ़ाने के लक्ष्य को रखा गया. हर भारतीय की थाली में ‘बिहारी व्यंजन’ परोसने की तैयारी पर काम हुआ. बीज उत्पादन के साथ ही किसानों की उत्पादकता बढ़ाने का प्रयास किया गया. चावल के उत्पादन में बिहार बेहद सफल रहा था. दूसरे कृषि रोडमैप में बिहार काफी सफल रहा था. कृषि कर्मण अवार्ड भी बिहार के पास दिखा. तीसरे कृषि रोड मैप पर ऑर्गेकिन खेती पर जोर दिया गया.
शिवम प्रेरणा की रिपोर्ट