बिहार में जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है एक के बाद एक दिग्गज अपना पत्ता खोल रहे हैं। इस बीच भोजपुरी सिनेमा के पॉवर स्टार पवन सिंह की बीजेपी में वापसी के बाद से निजी जिंदगी को लेकर उनकी दिक्कतें कम नहीं हो रही हैं। पहले विधानसभा चुनाव में उतरने की चर्चा, फिर पत्नी ज्योति सिंह के साथ विवाद और फिर पवन सिंह के चुनाव नहीं लड़ने के ऐलान के बाद अब खबर है कि पवन सिंह की मां काराकाट सीट से चुनावी मैदान में उतर सकती हैं। बताया जा रहा है कि वे काराकाट सीट से उम्मीदवार बन सकती हैं, हालांकि आधिकारिक ऐलान अभी नहीं हुआ है। इस खबर के आने के साथ एक और चर्चा ने जोर पकड़ लिया कि पवन की पत्नी ज्योति सिंह ने भी हर हाल में विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। वह भी काराकाट सीट से चुनाव लड़ेंगी। उनके पिता के अनुसार ज्योति सिंह काराकाट में काफी दिनों से सक्रिय हैं और वहां के लोग भी चाहते हैं कि वे वहां से चुनाव लड़ें।
ऐसे में काराकाट का चुनावी मुकाबला काफी दिलचस्प होता दिख रहा है जहां सास और बहू एक दूसरे के खिलाफ चुनावी मैदान में नजर आ सकते हैं। लेकिन इन दोनों सास और बहू के बीच पॉवर स्टार पवन सिंह दोनों तरफ से दांव पर लगे हुए हैं। खबर है कि पवन सिंह की मां के काराकाट से उतरने की चर्चा के बीच अब उनकी पत्नी ज्योति सिंह ने भी काराकाट सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। ज्योति सिंह काराकाट सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ सकती हैं। ज्योति सिंह के पिता ने मीडिया में यह बयान देकर उनकी मंशा जाहिर भी कर दी कि ज्योति काराकाट में लंबे समय से काम कर रहीं है। इससे वहां के लोगों के साथ उनका अपनापन बन गया है और वे चाहते हैं कि ज्योति वहां से चुनाव लड़े।
विदित हो कि भोजपुरी के पॉवर स्टार पवन सिंह ने बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। पवन सिंह ने ट्वीट कर अपने भोजपुरी समाज को यह स्पष्ट किया था कि उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए कोई पार्टी जॉइन नहीं की थी और न ही उनका इरादा चुनाव लड़ने का है। उन्होंने खुद को पार्टी का सच्चा सिपाही बताया था। पवन सिंह ने कहा कि मैं अपने भोजपुरीया समाज से बताना चाहता हूं कि मैं बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए पार्टी ज्वाइन नहीं किया था और नाहीं मुझे विधानसभा चुनाव लड़ना है। मैं पार्टी का सच्चा सिपाही हूं और पार्टी के लिए काम करूंगा। ऐसे में अब यह खबर चल पड़ी है कि काराकाट से उनकी मां को बीजेपी टिकट पर चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है। यही कारण है कि काराकाट में मुकाबला इस कदर हॉट हो गया है कि कहीं फिर महागठबंधन यहां लोकसभा चुनाव की तरह बाजी न मार ले।