राजधानी पटना स्थित बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच के जूनियर डॉक्टर अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। जूनियर डॉक्टरों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने के कारण ओपीडी, वार्ड और ऑपरेशन थिएटर (OT) में सभी काम ठप हो गए हैं। हालांकि आपातकालीन सेवाओं को हड़ताल से अलग रखा गया है। जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन (JDA) ने अपनी मांगों को लेकर मंगलवार से ही अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए और आज हड़ताल के तीसरे दिन गुरुवार को इसका सीधा असर मरीजों पर भारी पड़ने लगा है। इलाज के लिए अब मरीजों को मजबूरी में प्राइवेट अस्पतालों में जाना पड़ रहा है। उधर जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि वे पिछले दो साल से अपनी समस्याओं को सरकार के सामने रख रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
क्या हैं JDA की मांगें?
जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि वे पिछले दो साल से अपनी समस्याओं को सरकार के सामने रख रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उनकी मुख्य मांगों में शामिल हैं—
- बॉन्ड सेवा की अवधि घटाना: बॉन्ड सेवा की अवधि को घटाकर सिर्फ एक साल किया जाए।
- वेतन वृद्धि: काम के बोझ के हिसाब से सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों का वेतन बढ़ाया जाए।
- मेरिट के आधार पर पोस्टिंग: बॉन्ड पोस्टिंग मेरिट और विशेषज्ञता के आधार पर होनी चाहिए।
- बॉन्ड अवधि में वेटिंग पीरियड को शामिल करना: रिजल्ट घोषित होने और पोस्टिंग मिलने के बीच के समय को बॉन्ड अवधि में गिना जाए।
- इस्तीफे पर वेतन की सुरक्षा: अगर कोई बॉन्ड अवधि पूरी होने से पहले इस्तीफा देता है, तो उससे अर्जित वेतन वापस न लिया जाए।
- सीनियर रेजिडेंसी में बॉन्ड सेवा को शामिल करना: बॉन्ड सेवा को सीनियर रेजिडेंसी अनुभव में जोड़ा जाए।
मरीजों की मुश्किलें बढ़ीं
जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने के कारण मरीजों की मुश्किलें बढ़ गई है। पीएमसीएच में रोजाना हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं। जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल के कारण ये आज गुरुवार को इधर—उधर भटकते दिखे। सबसे ज्यादा परेशानी दूर-दराज के इलाकों से आए मरीजों के साथ है। इलाज के लिए इनको मजबूरी में महंगे प्राइवेट अस्पतालों में जाना पड़ रहा है। इधर, जूनियर डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें 14 दिनों के भीतर नहीं पूरी हुईं, तो आपातकालीन सेवाएं भी बंद कर देंगे। इससे स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। फिलहाल, इस मामले पर सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।