ईडी के कार्रवाई से बडे चेहरे बेनकाब
झारखण्ड : चुनावी तापमान का आंकलन करने के लिए नेता जी पलामू के पडवा मोड़ पर पहुंचे थे कि पीछे से जमाई टोला…जमाई टोला की आवाज आने लगी। इतना सुनते ही नेताजी आग बबुला हो गए। कहने लगे चुनाव बाद हम हम सबको देख लेंगे। तभी पीछे से किसी ने कान में कुछ कहा तो नेताजी एकदम ठंडा हो गए और धीरे से वहां से निकल लिए। दरअसल, चुनाव के ऐन मौके पर बांग्लादेशी और रोहंगिया घुसपैठियों का बड़े पैमाने पर अवैध राशन कार्ड और आधार कार्ड बनाने के नेक्सस का खुलासा हुआ है। यह खबर झारखं डमें जंगल की आग की तरह फैल गयी। नेता लोगांे को देखते ही लोग जमाई टोला के बारे में प्रश्न करने लग जा रहे हैं।
झारखंड के बाहर के लोगों के लिए जमाई टोला एक नया शब्द है। कुछ लोग इसे मजाक में भी लेते हैं। लेकिन, यह मजाक नहीं बल्कि वन-पर्वत जैसे प्राकृतिक सम्पदा और शांति से पूर्ण झारखंड के लिए भ्रष्टतंत्र और पतित राजनीति का क्रूर मजाक है। यह वोट के लिए तुष्टिकरण का बीभत्सतम रूप है जिसमें जेहादी तत्वों के अत्याचार और षड्यंत्र गहरा काला धब्बा बनकर सबको डारा रहा है। झारखंड के आदिवासी अब समझने लगे है कि गंगा जमुनी संस्कृति की बात करने वाले वस्तुतः उनको कच्चा चबा जाने पर उतारू हैं।
छापों के बाद प्रवर्तन निदेशालय ने यह उद्घाटित किया है कि किस तरह बड़े पैमाने पर भारत में बांग्लादेश से मुसलमानों की घुसपैठ कराई जा रही है। किस तरह सुनियोजित तरीके से घुसपैठ कराकर भारत में मुसलमानों की आबादी बढ़ाई जा रही है। छापेमारी में जो दस्तावेज और कम्प्युटर से जो डाटा मिले हैं उससे उनके मंशा और खतरनाक योजना का पता चलता है। जेहादी तत्व गृह युद्ध शुरू करके भारत पर कब्जा कर यहां इस्लामिक शासन कायम करना चाहते हैं। पी.एफ.आई. इसके लिए बड़े पैमाने पर हथियार जुटाने और हत्यारी जमात गठित करने में लगा हुआ है।
कह रहा है कि यदि भारत के दस प्रतिशत भी मुस्लिम उसका साथ दे दें तो हम यहां इस्लामिक शासन कायम कर लेेंगे। इस देश के किसी भी तथाकथित सेक्युलर दल या बुद्धिजीवी के लिए यह चिंताजनक स्थिति भी कोई समस्या नहीं। क्योंकि उन्हें तो सिर्फ मुस्लिम वोट चाहिए ताकि वे सत्ता में आकर लूटपाट कर सकें। इस नाजुक स्थिति की वे चर्चा तक नहीं करते है। वे मुसलमानों के अधिकतर वोट पाकर एक ऐसी केंद्र सरकार को हटाने के प्रयास में लगे हैं जो सरकार जेहादियों से भरसक लड़ रही है।
सीमा सुरक्षा बल के एक रिटायर डी.जी. ने एक टीवी चैनल पर जो कहा वह चिंता बढ़ाने वाली है। उन्होंने स्वीकार किया कि बीएसएफ में सब ईमानदार नहीं हैं परन्तु जो ईमानदारी से घुसपैठियों को पकड़कर राज्य पुलिस को सौंप भी देते हैं उन्हें भी राजनीतिक हस्तक्षेप के बाद राज्य पुलिस छोड़ देती है। झारखंड चुनाव में जमाई टोला के माध्यम से जो सामाजिक वातावरण बना है उसमें इस समस्या को लेकर लोकमत के जागरित होने के संकेत मिल रहे हैं। यदि यह प्रवाह इसी तरह जारी रहा तो तुष्टिकरण की राजनीति की दवा हो जाएगी।