झारखंड : झारखंड विधानसभा चुनाव का सारा खेल अंततः परसेप्शन पर आकर टिकाने लगा है। परसेप्शन के आधार पर मतदाताओं की गोलबंदी यदि हुई तो वहां चौकाने वाले नतीजे आयेंगे। अब तक जितने सर्वे हुए हैं उसमें किसी भी गठबंधन को जोरदार बहुमत से विजयी होते नहीं दिखाया जा रहा है। सभी स्पष्ट बहुमत के करीब या जोड़तोड कर सरकार बनाते दिख रहे हैं। कल दो दिन बाद यानी 13 नवम्बर 2024 को ही 33 सीटों पर मतदान हो जाएगा।
झारखंड चुनाव में पार्टियों या गठबंधनों के नारों से परसेप्शन के मिजाज का पता लग जाता है। हेमंत सोरेन के नतृत्व वाले इंडी एलांयंस का मुख्य नारा है ‘एक ही नारा हेमंत दोबारा’। वहीं, इंडी गठबंधन के प्रमुख घटक कांग्रेस का नारा है ‘झारखंड का विकास होगा इंडियन गठबंधन का साथ होगा’, वहीं भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन का नारा है ‘हमारा संघर्ष ही हमारी पहचान है। वहीं झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा का मुख्य नारा है ‘रोटी-बेटी-माटी की पुकार झारखंड में भाजपा सरकार’। इस नारे से भाजपा की पूरी स्ट्रेटेजी का संकेत मिल जाता है।
इस चुनाव चुनावी चौसर में सभी पार्टियां भाजपा के अखाड़े में लड़ने के लिए बाध्य दिख रही हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नारा थोड़ा एडवांस होकर झारखंड की चुनावी फिजां में तैर रहा है। सीएम योगी ने कहा था ‘बटेंगे तो कटेंगे,। झारखंड के भाजपा नेताओं ने उसमें एक रहेंगे, तो नेक रहेंगे’ जोड़ दिया। अब यह नारा हो गया ‘बटेंगे तो कटेंगे, एक रहेंगे, तो नेक रहेंगे’ इस नारा ने भाजपा का पालिटिकल लाइन तय कर दिया। इसी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर तमाम बड़े नेता अपना चुनावी भाषण दे रहे हैं। झारखंड के गुमला में एनडीए प्रत्याशियों के पक्ष में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कहा कि ‘आप जातियों में टूटेंगे तो आदिवासियों की ताकत कम हो जाएगी। इसलिए मैं कहता हूं – एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे।’
इसी बीच पूरे झारखंड में ‘जमाई टोला’ का जुमला चौक-चौराहों पर आम आदमी की जुबान पर बैठी दिख रही है। सोशल मीडिया में भी जमाई टोला की कहानियां वायरल हो रही हैं। पाकुड़ जिले की सुनीता टुडू की शमशुल अंसारी से निकाह के बाद उसकी दर्द भरी कहानी, मोनिका हंसदा की आजाद अंसारी से शादी के बाद उसे सकीना बनने को बाध्य किया जाना। ऐसी दर्जनों कहानियां हैं जो चर्चा में आ गयी हैं। दरअसल, बांग्लादेश से भारत में घुसपैठ कर अवैध रूप से झारखंड में रहने वाले और आदिवासी महिलाओं को अपने प्रेमजाल में फंसाकर उनसे शादी करके जमाई बन जाने वाली प्रथा अब झांरखंड के आदिवासियों के लिए अस्तित्व संकट जैसा हो गया है। ऐसे जमाई बाबूओं की संख्या इतनी हो गयी कि उनका अलग गांव ही बन गया जिसे लोग जमाई टोला कहते हैं। वास्तव में यह लैंड जिहाद का खेल है।
ये इलाका कभी आदिवासी बहुल हुआ करता था। लेकिन, अब वहां पक्के मकान हैं और थोड़ी थोड़ी दूरी पर मस्जिदें भी खड़ी हो गयी हैं। इसके साथ ही इलाके का नाम पड़ गया है जमाई टोला। इस खेल के कारण संथाल परगना के आदिवासी संकट में हैं। वहां 1951 में आदिवासियों की आबादी 44.66 प्रतिशत थी। 2011 में आदिवासी घटकर 28.11 फीसदी रह गए। वहीं मुस्लिमों की आबादी 9.44 से बढ़ कर 22.73 प्रतिशत हो गई। संथाल परगना के इन सभी छह जिलों में आबादी में औसत 7 से 8 लाख का इजाफा हुआ है. जिसमें मुस्लिम आबादी बहुत तेजी से बढ़ी है।
झारखंड विधानसभा चुनाव में यह एक बड़ा मुद्दा बन गया है। मतदाता सभी दलों से इसके संबंध में सवाल करते हैं। झामुमो को छोड़कर भाजपा में आने वाले पूर्व मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन इस मुद्दे को लेकर बहुत मुखर हैं। वे कहते हैं कि चुनाव बाद आदिवासी अदालत लगायेंगे। वे चुनावी सभाओं में एलान करते हैं कि हमारे पास घुसपैठियों को रोकने का पूरा प्लान है। घुसपैठियों से हम अपनी जमीन वापस ले कर रहेंगे।
भाजपा के प्रभारी व केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने चुनावी सभाओं में घुसपैठियों के कारण जनसांख्यिकी में हुए परिवर्तनों के खतरे और इसके लिए जिम्मेदार पार्टियों के बारे में बताना नहीं भूलते। वे एकबात जरूर कहते हैं कि भारत कोई धर्मशाला नहीं है जहां अराजकतत्व आकर अपना बसेरा बना ले। झारखंड के मतदाताओं का मिजाज पढ़ने का प्रयास करने वालों को यह अहसास हो जा रहा है कि वहां क्या होने जा रहा है।