जमुई : वैश्विक ऊर्जा स्वतंत्रता दिवस पर पर्यावरण भारती द्वारा वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर पर्यावरण भारती के संस्थापक राम बिलास शाण्डिल्य ने मौजूद लोगों को पर्यावरण के महत्त्व के बारे में बताते हुए वृक्ष रोपण और पर्यवरण रक्षा को लेकर बहुत साड़ी जानकारियां दी। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संकट संपूर्ण संसार की समस्या है। इसके लिए विकसित देश अमेरिका, चीन, रूस इंग्लैंड इत्यादि अधिक दोषी है। परन्तु वे अपने दोष छिपाने हेतु भारत ऐसे विकासशील देश को दोषी ठहराते हैं। भारत में आधुनिक विज्ञान का सम्मान है, परन्तु भारतीय चिन्तन पर भी विचार होता है। भारत प्राचीन काल से ही पर्यावरण की सुरक्षा हेतु सतत प्रयासरत है। संसार के चकाचौंध का असर अब धीरे-धीरे भारत में भी दिखने लगा है।
आगे उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वज प्राचीन काल में सूखे पेड़ काट कर ही उपयोग में लाते थे। परन्तु, आज हमलोग आधुनिक विज्ञान के दौर में हरे-भरे वृक्ष काट रहे हैं। पर्यावरणस्वरूप प्राकृतिक आपदायें मानव को भयभीत कर चेतावनी दे रहे हैं। पुनः प्रकृति की ओर हम सबों को लौटना होगा। विश्व की सभ्यतायें नदियों के किनारे विकसित हुईं हैं। भारत की सभ्यता एवं संस्कृति सिन्धु नदी के किनारे विकसित हुई है।
बिहार का जमुई शहर भी कियूल नदी के तट पर बसा हुआ है। परन्तु स्वार्थी मानव नदियों को ही सुखाकर समाप्त करने के लिए तैयार है। अतः भविष्य में मानव को पीने के लिए पानी नहीं मिलेगी। प्यासी मछली के तरह तरप-तरप कर संसार के मानव को भी मरना होगा। अपने बच्चों के भविष्य हेतु वृक्षारोपण अभियान चलाये। इससे पर्यावरण की सुरक्षा होगी।
शाण्डिल्य ने बताया कि 2012 के 10 जुलाई को संसार में पहली बार वैश्विक ऊर्जा स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। इसका उद्देश्य है-“वैकल्पिक ईंधन के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।”वर्त्तमान समय में तेल,कोयला, गैस से अधिकांश ऊर्जा तैयार होता है। लेकिन कुछ वर्षों में जीवाश्म ईंधन का श्रोत ही समाप्त हो जायेगा। अतः नये खोज–“सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा एवं जल विद्युत को संसार में बढ़ा वा देना होगा”। पर्यावरण संरक्षण हेतु जमुई पुरानी बाजार के पर्यावरण प्रहरी देव कुमार चंचल (बबलू) ने गोशाला के निकट अपने जमीन पर 253 पेड़ लगाए हैं। ऐसे महानुभाव से हम सबों को प्रेरणा लेना होगा।