पटना : पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी गतिविधियां अचानक तेज होने के बावजदू 2024 के सितम्बर माह समाप्त होनेे के पूर्व जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव की तैयारी पूरी हो चुकी है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 90 सीटें है अतः सरकार बनाने के लिए किसी दल या गठबंधन को कम से 46 सीटों पर जीत हासिल करनी होगी। भारत के चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट के नोटिस देकर यह निर्देष दिया है कि जम्मू और कश्मीर में विधानसभा गठन के लिए चुनाव 30 सितंबर 2024 के पूर्व चुनाव कार्य सम्पन्न करा लिया जाए।
महाराष्ट्र और हरियाणा में भी चुनाव
वैसे तो महाराष्ट्र और हरियाणा राज्य के विधानसभाओं के कार्यकाल भी अगले तीनों महीनों में पूर्ण होने वाले हैं। ऐसे में चुनाव आयोग इन तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव कराने की घोषणा एक साथ कर सकता है। ज्ञात हो कि जम्मू और कश्मीर राज्य को धारा 370 के तहत विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त था। लेकिन धारा 370 का वह प्रावधान रद्द होने के बाद जम्मू और कश्मीर राज्य का वह दर्जा स्वतः समाप्त हो गया। लोकसभा द्वारा बहुमत से 2019 में इसके विशेष राज्य का दर्जा वापस लिए जाने के बाद यह पहला आम चुनाव होगा। इसमें कुछ सीटें अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित होंगी। पूर्व में जम्म और कश्मीर राज्य में आम चुनाव में आरक्षण लागू नहीं था।
पहले साथ में सरकार फिर दर्जा छीना
पिछले विधानसभा चुनाव नवंबर-दिसंबर 2014 में हुए थे। चुनाव के बाद, जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन ने राज्य सरकार बनाई , जिसमें मुफ्ती मोहम्मद सईद मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद का 7 जनवरी 2016 को निधन हो गया। इसके बाद वहां राज्यपाल शासन लगा दिया गया। थोड़े समय के लिए राज्यपाल के बाद महबूबा मुफ्ती ने जम्मू और कश्मीर के अगले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। राजनीतिक घटनाक्रम में तेजी से बदलाव हुआ। जून 2018 में, भाजपा ने पीडीपी के नेतृत्व वाली सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया। इसके बाद 10, नवंबर 2018 को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्य पाल मलिक ने राज्य विधानसभा को भंग करन दिया। इसके बाद 20 दिसंबर 2018 को राष्ट्रपति शासन लगाया गया।
2019 में 370 किया निरस्त
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में 2019 में, भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया। इस प्रकार जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा समाप्त हो गया। जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को 31 अक्टूबर 2019 से जम्मू और कश्मीर राज्य को जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित करने के लिए पारित किया गया।
पीओके के लिए भी 24 सीटें
मार्च 2020 में, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के परिसीमन के लिए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय परिसीमन आयोग का गठन किया गया था । इस आयोग ने व्यापक सर्वे व अध्ययन के बाद 2022 के फरवरी माह में अपनी अंतरिम रिपोर्ट प्रकाशित की। इस रिपोर्ट में पाकिस्तान द्वारा अवैध कब्जा किए गए कश्मीर को भी शामिल किया गया। प्रकाशित रिपोर्ट पर आए सुझावों पर कार्रवाई के बाद अंतिम परिसीमन रिपोर्ट 5 मई 2022 को जारी की गई। इस अंतिम रिपोर्ट के अनुसार जम्मू संभाग में अतिरिक्त छह सीटें और कश्मीर संभाग में एक सीट जोड़ी गई। परिसीमन के बाद विधानसभा की कुल सीटें बढ़कर 114 हो गईं। इनमें से 24 सीटें पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाली कश्मीर के क्षेत्रों के लिए निर्धारित हैं। शेष 90 सीटों में से 43 सीटें जम्मू संभाग में और 47 सीटें कश्मीर संभाग में हैं। अंतिम परिसीमन रिपोर्ट 20 मई 2022 को लागू की गयी।
370 हटाना संवैधानिक अनुसूचित के लिए 7 और जनजातियों के लिए 9 आरक्षित
ज्ञात हो कि संसद द्वारा अनुच्छेद 370 हटाये जाने की प्रक्रिया को असंवैधानिक कृत बताते हुए सर्वोच्च न्यायालय में अपील की गयी थी जिस पर सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने 11 दिसंबर 2023 को अपने फैसले में अनुच्छेद 370 को हटाने को संवैधानिक ठहराया और भारत के चुनाव आयोग को 30 सितंबर 2024 से पहले जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने का आदेश दिया। संसद ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2023 पारित किया जिसमें अनुसूचित जातियों के लिए 7 सीटें और अनुसूचित जनजातियों के लिए 9 सीटें आरक्षित करने का प्रावधान है।