एआईएमआईएम चीफ और हैदराबाद के नवनिर्वाचित सांसद असदुद्दीन ओवैसी की संसद सदस्यता जा सकती है। ऐसा उनके द्वारा बतौर संसद सदस्य शपथ लेने के दौरान लगाए गए ‘जय फिलिस्तीन’ नारे को लेकर कहा जा रहा है। ओवैसी ने 18वीं लोकसभा की कार्यवाही के दूसरे दिन संसद सदस्य के रूप में शपथ लेने के बाद ‘जय फिलिस्तीन’ का नारा लगाकर विवाद पैदा कर दिया। अब इसे लेकर देश के वरिष्ठ वकीलों ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर उनसे ओवैसी की संसद सदस्यता रद करने की मांग की है। अपने पत्र में वकीलों ने संविधान की धारा 102 (4) का हवाला दिया है।
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 102 (4)
इधर, ओवैसी को सांसद के तौर पर अयोग्य घोषित करने के लिए राष्ट्रपति के समक्ष शिकायत दर्ज की गई है। इसमें संविधान की धारा 102 (4) के आधार पर उनकी संसद सदस्यता रद करने की मांग की गई है। आइये जानते हैं कि क्या कहती है संविधान की धारा 102 (4)।
वैसे से इस अधिनियम में कई उपबंध हैं। लेकिन इसी में एक उपबंध ये भी है…
संविधान की धारा 102 (4) कहता है कि किसी और देश के प्रति निष्ठा जताने पर लोकसभा सदस्य की संसद सदस्यता जा सकती है। यही वह प्वाइंट है, जिसपर ओवैसी घिरे हुए हैं। सांसद पद की शपथ लेते हुए उन्होंने फिलिस्तीन का नाम ले लिया था। इसी के हवाले से कहा जा रहा कि लोकसभा सदस्यता लेते समय किसी अन्य देश की हिमायत करना गलत है, और इस आधार पर मेंबरशिप रद्द तक हो सकती है।
ललन सिंह और रिजिजू ने ये कहा
इधर भाजपा, जेडीयू और कुछ विपक्षी सांसदों ने भी इस विवाद को लेकर ओवैसी के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर दी है। जदयू सांसद और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने कहा कि यह गलत है। आप भारत के संविधान के प्रति शपथ लेते हैं। भारत के संविधान के प्रति शपथ लेने के साथ आप किसी विदेशी मुल्क का जिंदाबाद करते हैं। यह दर्शाता है कि आपने आधे मन से शपथ ली है। संसदीय कार्य मंत्री रिजिजू ने भी इसके लिए ओवैसी की निंदा करते हुए कहा कि हम नियम चेक कर रहे हैं कि उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जा सकती है।