पटना में गंगा के किनारे की मिट्टी काट कर गंगा तट की रक्षा!
गंगा तट रक्षा बाल्डर पीच निर्माण कम्पनी का काला कारनामा
काली कमाई के लिए तट पर बसे लोगों को खतरे में डालने की करतूत
पटना में गंगा तट संरक्षण के नाम पर अत्यंत कटु मजाक किया जा रहा है। गंगा के किनारे की पुरानी मिट्टी को काटकर गंगा तट की सुरक्षा की बात लोगों की समझ से परे है। सुनने में यह बात अतिसामान्य लग रही होगी लेकिन यह गंगा के किनारे बसी बस्तियों के लिए आने वाले भयावह संकट का कारण होगा। तट पर निर्मित पुराने भवन जो कि विरासत की श्रेणी में आते हैं, उनपर भी खतरा पैदा करने वाला है।
पटना के गंगा घाटों को सुसज्जित करने का कार्य लगभग पूर्ण हो गया है। गंगा किनारे फोर लेन पुल सड़क निर्माण का कार्य भी लगभग पूर्ण हो गया है। लेकिन, पटना स्थित गंगा घाटों एवं तटों को कटाव से सुरक्षित करने का कार्य अभी जारी है। इस कार्य में लगी कम्पनी को गंगा तट की सुरक्षा के लिए पुलपथ के बगल में बोल्डर पीच का निर्माण करना है। इसके लिए गंगा किनारे के गड्ढों में मिट्टी या बालू की भराव के बाद ही ढालाई कर पीच का निर्माण करना है। लेकिन, चौधरी टोला घाट के पास से आगे कम्पनी ने गंगा के किनारे से ही पुरानी जीम हुई मिट्टी काट कर उसे गंगा की ओर लेजाना शुरू कर दिया है। घाट की सिढ़ियों को ढंकते हुए यदि बोल्डर पीच बनता है तो उससे कटाव रोक संभव नहीं होगा। वहीं आवासीय क्षेत्र के बिल्कुल करीब से मिट्टी के काटने के कारण पानी बढ़ने के समय भयावह स्थिति बन सकती है।
गंगा के किनारे से जेसीबी मशीन से मिट्टी काटने के क्रम में गंगा किनारे लगाए गए पीपल ओर बर्गद के छोटे-छोटे पेड़ों को भी जमीनदोज कर दिया गया। गंगा के तट का हराभरा करने के आह्वान के तहत स्थानीय लोगों ने कोरोना के समय यहां बहुत से पेड-पौधे लगाए थे। कम्पनी के इस कारगुजारी के कारण गंगा सेवियों, पर्यावरण सुरक्षा कार्यकर्तओं एवं स्ािानीय लोगों में आक्रोष है। स्थानीय लोगों ने वन विभाग और बिहार सरकार के पथ निर्माण विभाग के अधिकारियों को सूचित करते हुए तत्काल कार्रवाई एवं हस्तक्षेप की मांग की है।