पटना : पटना पुस्तक मेले में चल रहे सिनेमा-उनेमा फिल्मोत्सव के छठे दिन गुरुवार को 250 से अधिक डॉक्यूमेंट्री व अन्य फिल्में बना चुके फिल्मकार रीतेश परमार को सम्मानित किया गया। पटना पुस्तक मेला के संयोजक अमित झा ने फिल्मकार को प्रशस्ति-पत्र, प्रतीक चिह्न, पौधा आदि देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर फिल्मकार ने कहा कि बिहार में फिल्मोत्सव व फिल्म सेमिनार लगातार होना चाहिए, ताकि सही सिनेमा बनाने का दबाव फिल्मकारों पर बना रहेगा।
फिल्मोत्सव के मुख्य वक्ता फिल्मकार अभिषेक तिवारी ने ‘ओटीटी के दौर में सिने स्वच्छता’ विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि ओटीटी हमारी बौद्धिकता की परीक्षा का दौर ला दिया है। सिनेमा 70 एमएम बड़े पर्दे की चीज थी, जो अब 6 इंच के स्मार्टफोन में वेब सीरीज की शक्ल में आने लगा है। स्क्रीन के साथ-साथ हमारे फिल्मकारों की सोच भी सिकुड़ रही है। उन्होंने लीला, पाताललोक, असुर, सेक्रेड गेम्स जैसे नामों के उदाहरण देते हुए कहा कि जो चीजें भारत में कभी नहीं हुईं, उसे भी कल्पनिक नैरेटिव की आड़ पर परोसा जा रहा है। ऐसे कंटेंट विषय के समान होते हैं। इनसे हमारी नई पीढ़ी को बचाना है। हिंसा, यौनिकता व उच्छृंखलता को महिमामंडित किया जा रहा है, केवल इसलिए क्योंकि ओटीटी को लेकर सरकार के पास कोई नियामक नहीं है। वेब शो वाले इस लूपहोल का फायदा उठा रहे हैं।
इससे पूर्व पटना पुस्तक मेला के संयोजक अमित झा ने कार्यक्रम के प्रथम दर्शक सह मुख्य अतिथि उपमहापौर रेशमी कुमारी, मुख्य वक्ता अभिषेक तिवारी को प्रतीक चिह्न, तुलसी पौधा आदि देकर सम्मानित किया। संयोजन व मंच संचालन रंगकर्मी कुमार रविकांत ने किया। इस जानेमाने फिल्म विश्लेषक प्रो. जय देव, फिल्म समीक्षक प्रशांत रंजन, वरीय रंगकर्मी संजय सिन्हा, नीलेश्वर मिश्र, सनत कुमार, संजीव कुमार, प्रज्ञा सिंह समेत जनसंचार के विद्यार्थी एवं सिने प्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।