बिहार चुनाव से पहले सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को एक और झटका लगा है। वक्फ कानून पर जदयू के स्टैंड से नाराज पूर्व MLC सलमान रागिब मुन्ना ने पार्टी से इस्तीफा देकर RJD का दामन थाम लिया है। इस्तीफे के बाद पूर्व एमएलसी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुस्लिम समुदाय को सिर्फ ठगने का काम किया है। नीतीश सरकार में न रोजगार मिला, न विकास दिखा। अब पूरा मुस्लिम समाज राजद के साथ एकजुट होकर तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने का संकल्प ले चुका है।
दरअसल वक्फ बिल पर केंद्र की मोदी सरकार को जनता दल यूनाइटेड द्वारा दिये गए समर्थन के बाद पार्टी के मुस्लिम नेताओं की नाराजगी कम होने का नाम नहीं ले रही। पूर्व एमएलसी सलमान रागिब मुन्ना नवादा में जदयू के बड़े अल्पसंख्यक चेहरा थे। इससे पहले भी नवादा से ही जेडीयू के दो वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी छोड़ दिया था। वक्फ संशोधन बिल के कारण जदयू नेता फिरोज खान और चांद खान ने भी यह कहते जेडीयू से इस्तीफा दिया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं। इनके कार्यकाल में मुसलमानों की बहुत अनदेखी की गईं है।
वक्फ के मुद्दे पर हालांकि जदयू ने डैमेज कंट्रोल की भरसक कोशिश शुरू की हुई है। लेकिन अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले नेताओं का कहना है कि इस बिल पर पार्टी के रवैये से उन्हें अपने वोटरों के पास जाते नहीं बन रहा है। दरभंगा से भी कई नाराज मुस्लिम नेताओं ने अप्रैल महीने में जदयू से इस्तीफा दे दिया था। इनमें अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ सदस्य मुर्शीद आलम भी शामिल थे जिन्होंने अपना इस्तीफा नीतीश कुमार को भेज दिया था। वहीं पश्चिम चंपारण और भोजपुर में भी कई अल्पसंख्यक नेताओं ने वक्फ बिल संशोधन में जदयू द्वारा समर्थन किये जाने के बाद जदयू पार्टी छोड़ दी थी। इनमें अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव मो शाहनवाज मलिक, प्रदेश महासचिव मो तबरेज सिद्दीकी अलीग, भोजपुर से पार्टी सदस्य मो. दिलशान राईन मेंकिंग और जदयू के पूर्वी चंपारण जिला चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रवक्ता कासिम अंसारी ने इस्तीफा दे दिया था।