पटना: कर्मयोगी, समाजसेवी देवव्रत प्रसाद व कवि, गीतकार, पत्रकार हृदयनारायण झा को अक्षर पुरुष पं. रामनारायण शास्त्री सारस्वत सम्मान से शुक्रवार को विभूषित किया गया। पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे, सिक्किम के पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद, समाजसेवी पद्मश्री विमल जैन एवं बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने संयुक्त रूप से देवव्रत प्रसाद को स्मृतिचिह्न, शॉल, पुष्पगुच्छ आदि सम्मानित किया।
बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन भवन में पं. रामनारायण शास्त्री स्मारक न्यास की ओर से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि देवव्रत प्रसाद ने 1970 में 16 वर्ष की आयु से ही अपना जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया। जेपी आंदोलन में तीन बार जेल गए। पूर्व राज्यपाल गंगा प्रसाद ने देवव्रत प्रसाद के स्वयंसेवक के रूप में किए गए सामाजिक कार्यों को उल्लेख किया। पद्मश्री विमल जैन ने कहा कि देश व समाज के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देने वाले कर्मयोगियों को इस न्यास द्वारा सम्मानित किया जाता रहा है, यह सुखद है। हृदयनारायण झा जैसे विद्वान मनीषी, जिन्होंने योग के 84 आसनों को साधा है और बाल साहित्य के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किए हैं, को सम्मानित होते देखना आनंद का विषय है।
सम्मान प्राप्त करने के बाद समाजसेवी देवव्रत प्रसाद ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्राप्त संस्कारों के कारण ही इस प्रकार का जीवन जीने व समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा मिली है।
पं. रामनारायण शास्त्री स्मारक न्यास के अध्यक्ष अभिजीत काश्यप ने कहा कि पं. रामनारायण शास्त्री स्मारक न्यास 1979 में अपने स्थापना के समय से शिक्षा, कला, संस्कृति, राष्ट्रबोध, समाजसेवा आदि के क्षेत्र में अनवरत कार्य कर रहा है। बिहार व झारखंड के विद्यार्थियों के लिए प्रतिवर्ष हिंदी भाषण एवं लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है, जिसमें पुरस्कार राशि व पदक आदि देकर छात्र-छात्राओं का मनोबल बढ़ाया जाता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ. अनिल सुलभ ने की व स्वागत भाषण कृष्णकांत ओझा ने किया। इस अवसर पर राजधानी के प्रमुख बृद्धिजीवी, शिक्षाविद्, कलाकार, समाजसेवी आदि उपस्थित थे।