बिहार में एनडीए और महागठबंधन के बीच आगामी विधानसभा चुनाव के लिए मुद्दे हथियाने की जंग शुरू हो चुकी है। इसी जंग का नतीजा पहले महिला संवाद यात्रा, माई—बहिन मान योजना तो अब मुख्यमंत्री नीतीश की 23 दिसंबर से शुरू हो रही ‘प्रगति यात्रा’ की घोषणा है। 2025 की चुनावी जंग में नीतीश नीत एनडीए और तेजस्वी नीत महागठबंधन में मुद्दा हथियाने की होड़ की बानगी देखिए कि जैसे ही मुख्यमंत्री ने आधी आबादी को लक्ष्य कर महिला संवाद यात्रा की घोषणा की, तेजस्वी ने इसकी काट माई—बहिन योजना में महिलाओं को हर माह 2500 देने का वादा कर खोज लिया। नीतीश भी कहां पीछे रहने वाले थे, उन्होंने भी शह—मात के खेल में अब अपनी महिला संवाद यात्रा का नाम ही बदल दिया। अब उनकी यह यात्रा ‘प्रगति यात्रा’ हो गई है।
अब ‘प्रगति यात्रा’ करेंगे CM नीतीश
नाम से ही जाहिर है कि नीतीश कुमार अब अपनी प्रगति यात्रा में महिलाओं के साथ ही पूरी आबादी के रोजगार, विकास और जन सुविधाओं पर बड़ा ऐलान करने वाले हैं। जहां तेजस्वी नौकरी, जनगणना, आरक्षण के बाद माई—बहिन का दांव चल रहे थे, अब नीतीश कुमार ने रोजगार और प्रगति का दांव चलकर उनकी नौकरी और आरक्षण वाले तीर को भोथरा करने की रणनीति बनाई है। इस प्रगति यात्रा के माध्यम से नीतीश कुमार राज्य के विकास कार्यों और जनता की समस्याओं को समझने का प्रयास करेंगे। वे विभिन्न क्षेत्रों के लोगों से मिलेंगे और उनकी बातें सुनेंगे। इस यात्रा के जरिए वे राज्य के विभिन्न जिलों का दौरा करेंगे और जनता से संवाद करेंगे। पहले चरण में 23 से 28 दिसंबर तक वे पांच जिलों का दौरा करेंगे।
लालू की टिप्पणी का कितना असर
कुछ रणनीतिकार सीएम की महिला संवाद यात्रा का नाम प्रगति यात्रा किये जाने को लालू यादव के उस बयान से जोड़कर भी देख रहे हैं, जिसमें उन्होंने इसे ‘आंख सेंकने’ के लिए होने वाली यात्रा करार दिया था। लेकिन नीतीश भी लालू की राजनीतिक ‘स्कूल’ से ही निकलने वाले पॉलिटिकल उस्ताद हैं। उनके लिए लालू का बयान उनकी पर्सनैलिटी से मेल खाता बयान भर ही रहा होगा। दरअसल नीतीश कुमार खुद काफी सोच समझकर कोई रणनीति बनाते हैं और उसपर अमल भी करते हैं। महिला संवाद यात्रा को भी काफी सोच समझ कर ही उन्होंने प्रगति यात्रा का नाम दिया है। इसके जरिये वे अब अपने पुराने मुद्दों के साथ ही भविष्य की प्लानिंग और धरातल पर उसके रोडमैप को भी सीधे जनता के बीच ले जाना चाहते हैं।
23 दिसंबर से 5 जिलों का दौरा
‘प्रगति यात्रा’ की शुरुआत 23 दिसंबर को पश्चिम चंपारण से होगी। इसके बाद 24 दिसंबर को मुख्यमंत्री पूर्वी चंपारण में रहेंगे। 25 दिसंबर को यात्रा स्थगित रहेगी और पुन: 26 दिसंबर को मुख्यमंत्री की प्रगति यात्रा शिवहर और सीतामढ़ी पहुंचेगी। इसके बाद 27 दिसंबर को मुजफ्फरपुर और फिर 28 दिसंबर को वैशाली में सीएम की प्रगति यात्रा के पहले चरण का अंतिम पड़ाव संपन्न हो जाएगा। ये यात्रा पहले ‘महिला संवाद’ यात्रा के रूप में होनी थी। लेकिन अब इसका नाम बदलकर ‘प्रगति यात्रा’ कर दिया गया। इस यात्रा से मुख्यमंत्री और उनकी सरकार को नीतियों को और बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
यह है प्रगति यात्रा का मूल मकसद
मुख्यमंत्री की प्रगति यात्रा का मूल मकसद यह है कि इसके जरिये नीतीश कुमार सीधे जनता से जुड़ेंगे और उनकी समस्याओं को समझेंगे। इससे सरकार और जनता के बीच बेहतर तालमेल स्थापित होगा। इस यात्रा के दौरान विभिन्न विकास परियोजनाओं का भी जायजा लिया जाएगा। खास बात यह कि जहां इस दौरान स्थानीय सांसदों—विधायकों और अन्य जन प्रतिनिधियों को केवल वहां मौजूद रहने की इजाजत दी गई है। वे न तो जनता से कोई सवाल करेंगे, न वहां मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों या मुख्यमंत्री से। वे सिर्फ सबकी बात सुनेंगे। मतलब साफ है कि मुख्यमंत्री अपनी जनता से सीधा सवाल सुुनना चाहते हैं और उनसे मुखातिब होना चाहते हैं। यह रणनीति सीएम नीतीश को जहां आम लोगों से सीधे कनेक्ट करेगी वहीं वे भी जन समस्याओं को आन स्पाट खुद समझ सकेंगे।