बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आजकल जिस सरकारी कार में सफर कर रहे हैं, उसका प्रदूषण सर्टिफिकेट फेल है। मुख्यमंत्री की सरकारी गाड़ी नंबर BR01CL 0077 हाल में उनकी रोहतास जिले की यात्रा के दौरान परिवहन विभाग के नियमों का उल्लंघन करते हुए पकड़ी गई है। जानकारी के अनुसार सीएम की कार का प्रदूषण सर्टिफेकट 2 अगस्त 2024 से ही फेल चल रहा है। लेकिन इसके बावजूद वे इसी कार का धड़ल्ले से अब तक इस्तेमाल कर रहे हैं। जबकि आम जनता का जगह—जगह चेकिंग लगाकर लगातार पॅल्यूशन से लेकर हेलमेट तक के लिए चालान कटना आम बात है।
सोशल मीडिया पर कार का पॉल्यूशन फेल सर्टिफिकेट शेयर
इस मामले को लेकर रोहतास में विपक्षी कांग्रेस और राजद नेताओं ने इसपर सरकार से जवाब मांगा है। यही नहीं, सीएम की कार के पॉल्यूशन फेल वाला स्क्रीन शॉट भी विपक्षी नेता सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या परिवहन विभाग मुख्यमंत्री की गाड़ी पर कार्रवाई करेगा? मालूम हो कि मुख्यमंत्री की गाड़ी का पहले भी इसी वर्ष के फरवरी माह में सीट बेल्ट का इस्तेमाल नहीं करने के लिए चालान काटा गया था। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि आज तक उस समय काटे गए 1000 के चालान को भरा नहीं गया है।
सीएम की रोहतास यात्रा के दौरान सामने आया मामला
सीएम नीतीश की गाड़ी का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट फेल वाला ताजा मामला तब सामने आया जब मुख्यमंत्री रोहतास जिले के करहगर प्रखंड के कुसही बेतिया गांव में डीएम दिनेश कुमार राय के पिता की पुण्यतिथि में शामिल होने पहुंचे थे। रोहतास आरजेडी के नेता विमल कुमार ने कहा, “यह बिहार का दुर्भाग्य है कि मुख्यमंत्री की अपनी गाड़ी का पॉल्यूशन फेल है, जबकि वह आम जनता पर बेवजह जुर्माना लगवाकर अत्याचार करवा रहे हैं। राज्य के कई मंत्रियों की सरकारी गाड़ियों के कागजात भी अधूरे मिलेंगे। यह सुशासन के उनके खोखले दावे की पोल खोलता है।”
परिवहन विभाग पर राजद ने उठाए सवाल
परिवहन विभाग राज्य भर में वाहन चेकिंग अभियान चला रहा है. इस अभियान के तहत आम जनता के वाहनों में अगर थोड़ी भी कागजी कमी मिलती है तो तुरंत चालान काटा जा रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री की गाड़ी का पॉल्यूशन फेल होने के बावजूद क्या उनपर जुर्माना लगाया जाएगा? आरजेडी नेता विमल कुमार ने कहा, “यह बिहार का दुर्भाग्य है कि मुख्यमंत्री की अपनी गाड़ी का पॉल्यूशन फेल है, जबकि वह आम जनता पर बेवजह जुर्माना लगवाकर अत्याचार करवा रहे हैं. राज्य के कई मंत्रियों की सरकारी गाड़ियों के कागजात भी अधूरे मिलेंगे. यह सुशासन के दावे की पोल खोलता है.”
क्या होगा अगला कदम?
अब यह देखना महत्वपूर्ण है कि मुख्यमंत्री की गाड़ी पर परिवहन विभाग कार्रवाई करता है या नहीं। अगर मुख्यमंत्री की गाड़ी पर जुर्माना नहीं लगता है, तो यह राज्य में कानून और नियमों के प्रति सरकार की गंभीरता पर सवाल खड़ा करेगा। इस घटना ने राज्य में नियमों के पालन और उनके लागू होने के तरीके पर बहस छेड़ दी है। विपक्ष सवाल उठा रहा है कि क्या नियम सिर्फ आम जनता के लिए बनाए गए हैं?